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________________ ३२४ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र एत्थ णं केसरिद्दहो, दाहिणेणं सीया महाणई पवूढा समाणी उत्तरकुरुं एजमाणी ३ जमगपव्वए णीलवंतउत्तरकुरुचंदेरावयमालवंतद्दहे य दुहा विभयमाणी २ चउरासीए सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ भद्दसालवणं एजमाणी २ मंदरं पव्वयं दोहिं जोयणेहिं असंपत्ता पुरत्थाभिमुही आवत्ता समाणी अहे मालवंतवक्खारपव्वयं दालइत्ता मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पुव्वविदेहवासं दुहा विभयमाणी २ एगमेगाओ चक्कवट्टिविजयाओ अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ पंचहिं सलिलासयसहस्सेहिं बत्तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे विजयस्स दारस्स जगई दालइत्ता पुरथिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, अवसिटुं तं चेवत्ति। एवं णारिकंतावि उत्तराभिमुही णेयव्वा, णवरमिमं णाणत्तं गंधावइवटवेयद्दपव्वयं जोयणेणं असंपत्ता पच्चत्थाभिमुही आवत्ता समाणी अवसिडें तं चेव पवहे य मुहे य जहा हरिकंतासलिला इति। णीलवंते णं भंते! वासहरपव्वए कइ कूडा पण्णत्ता? गोयमा! णव कूडा पण्णत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे० । सिद्धे १ णीले २ पुव्वविदेहे ३ सीया य ४ कित्ति ५ णारी य ६। अवरविदेहे ७ रम्मगकूडे ८ उवदसणे चेव ॥१॥ सव्वे एए कूडा पंचसइया रायहाणीउ उत्तरेणं। से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-णीलवंते बासहरपव्वए २? गोयमा! णीले णीलोभासे णीलवंते य इत्थ देवे महिड्डिए जाव परिवसइ सव्ववेरुलियामए णीलवंते जाव णिच्चेत्ति। भावार्थ - हे भगवन्! जम्बूद्वीप में नीलवान् वर्षधर पर्वत किस स्थान पर बतलाया गया है? हे गौतम! महाविदेह क्षेत्र के उत्तर में रम्यक् क्षेत्र के दक्षिण में पूर्ववर्ती लवण समुद्र के पश्चिम में, पश्चिमी लवण समुद्र के पूर्व में, जम्बूद्वीप के अन्तर्गत नीलवान वर्षधर पर्वत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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