________________
चतुर्थ वक्षस्कार - सौमनस वन
३१५
उत्तर दिशावर्ती भवन के पश्चिम में, उत्तर पश्चिमवर्ती श्रेष्ठ प्रासाद के पूर्व में सागर चित्र नामक कूट पर वज्रसेना नामक देवी रहती है। उसकी राजधानी उत्तर में है। ... उत्तर दिशावर्ती भवन के पूर्व में उत्तरपूर्ववर्ती उत्तम प्रासाद के पश्चिम में वज्रकूट पर बलाहका नामक देवी निवास करती है। इसकी राजधानी उत्तर में है।
हे भगवन्! नंदनवन में बलकूट किस स्थान पर बतलाया गया है? हे गौतम! मंदर पर्वत के उत्तर पूर्व में नंदनवन के भीतर यह कूट बतलाया गया है।
इसका एवं इसकी राजधानी का प्रमाण विस्तार हरिस्सहकूट के तुल्य है। इतना अंतर हैइसका अधिष्ठाता बल नामक देव है। उसकी राजधानी उत्तर-पूर्व में अवस्थित है।
सौमनस वन
(१३४) . कहि णं भंते! मंदरए पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पण्णत्ते?
गोयमा! णंदण-वणस्स बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ अद्धतेवटिं जोयणसहस्साई उडे उप्पइत्ता एत्थ णं मंदरे पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पण्णत्ते पंचजोयणसयाई चक्कवालविक्खम्भेणं वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए जे णं मंदरं पव्वयं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ चत्तारि जोयणसहस्साई दुण्णि य बावत्तरे जोयणसए अट्ठ य इक्कारसभाए जोयणस्स बाहिं गिरिविक्खम्भेणं तेरस जोयणसहस्साइं पंच य एक्कारे जोयणसए छच्च इक्कारसभाए जोयणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं तिण्णि जोयणसहस्साई दुण्णि य बावत्तरे जोयणसए अट्ट य इक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खम्भेणं दस जोयणसहस्साई तिण्णि य अउणापण्णे जोयणसए तिण्णि य इक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिपरिरएणंति। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते वण्णओ किण्हे किण्होभासे जाव आसयंति० एवं कूडवज्जा सच्चेव णंदणवणवत्तव्वया भाणियव्वा, तं चेव ओगाहिऊण जाव पासायवडेंसगा सक्कीसाणाणंति।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org