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________________ ३०४ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र इमे वक्खारा, तंजहा-चंदपव्वए १ सूरपव्वए २ णागपव्वए ३ देवपव्वए ४। इमाओ णईओ सीओयाए महाणईए दाहिणिल्ले कूले-खीरोया सीहसोया अंतरवाहिणीओ णईओ ३, उम्मिमालिणी १ फेणमालिणी २ गंभीरमालिणी ३ उत्तरिल्लविजयाणंतराउत्ति, इत्थ परिवाडीए दो-दो कूडा विजयसरिसणामया भाणियव्वा, इमे दो-दो कूडा अवट्ठिया तंजहा-सिद्धाययणकूडे पव्वयसरिसणामकूडे। भावार्थ - इसी प्रकार १. पक्ष्म विजय, अश्वपुरी राजधानी तथा अंकावती वक्षस्कार पर्वत है। २. सूपक्ष्म विजय सिंहपुरी राजधानी तथा क्षीरोदा महानदी है। ३. महापक्ष्म विजय महापुरी विजय तथा पक्ष्मावती वक्षस्कार पर्वत हैं। ४. पक्ष्मकावती विजय, विजयपुरी राजधानी तथा शीतस्त्रोता राजधानी है। ५. शंखविजय, अपराजिता राजधानी तथा आशिविष वक्षस्कार पर्वत है। . . ६. कुमुद विजय, अरजा राजधानी तथा अन्तर्वाहिनी महानदी है। ७. नलिन विजय अशोका राजधानी तथा सुखावह वक्षस्कार पर्वत है। ८. नलिनावती विजय (सलिलावती विजय) वीतशोका राजधानी है। ६. दक्षिणात्य शीतोदामुख नामक वनखण्ड है। उत्तरशीतोदा वनखण्ड भी इसी प्रकार कथनीय है। उत्तरी शीतोदामुख वन खण्ड के अंतर्गत१. वप्रविजय, विजयाराजधानी तथा चन्द्रवक्षस्कार पर्वत हैं। २. सुवप्रविजय, जयंती राजधानी एवं उर्मिमालिनी नदी है। ३. महावप्रविजय, जयंती राजधानी तथा सूर वक्षस्कार पर्वत है। ४. वप्रावती विजय, अपराजिता राजधानी तथा फेनमालिनी नदी है। ५. वल्गुविजय, चक्रपुरी राजधानी तथा नाग वक्षस्कार पर्वत है। ६. सुवल्गुविजय, खडगपुरी राजधानी तथा गंभीर मालिनी अर्तनदी है। ७. गंधिल विजय, अवध्या राजधानी एवं देव वक्षस्कार पर्वत है। ८. गंधिलावती विजय तथा अयोध्या राजधानी है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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