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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
आवर्त्त विजय
(११६) कहि णं भंते! महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पण्णत्ते?
गोयमा! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं णलिणकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं दहावईए महाणईए पुरथिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पण्णत्ते, सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स इति।
भावार्थ - हे भगवन्! महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत आवर्त नामक विजय कहाँ कहा गया है?
हे गौतम! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में तथा द्रहावती महानदी के पूर्व में, महाविदेह क्षेत्र के भीतर आवर्त्त नामक विजय कहा गया है। अवशिष्ट वर्णन कच्छ विजय के समान है।
नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत
(११७) . कहि णं भंते महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते? .
गोयमा! णीलवंतस्स दाहिणेणं सीयाए उत्तरेणं मंगलावइस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं आवत्तस्स विजयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति०।
णलिणकूडे णं भंते!० कइ कूडा पण्णता? गोयमा! चत्तारि कूडा पण्णत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे णलिणकूडे आवत्तकूडे मंगलावत्तकूडे, एए कूडा पंचसइया रायहाणीओ उत्तरेणं।
भावार्थ - हे भगवन्! महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत कहाँ बतलाया गया है?
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