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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
हे भगवन्! उत्तरार्द्ध कच्छ विजय में गंगाकुण्ड कहाँ प्रतिपादित हुआ है?
हे गौतम! चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में, ऋषभकूट पर्वत के पूर्व में, नीलवान् । वर्षधर पर्वत के दक्षिणी मध्य भाग में, उत्तरार्द्ध कच्छ के अंतर्गत गंगाकुण्ड कहा गया है। वह साठ योजन आयाम-विस्तार युक्त है यावत् वह एक वनखंड द्वारा घिरा हुआ है, यहाँ तक का सारा वर्णन सिंधुकुण्ड के समान योजनीय है। . ___ हे भगवन्! वह कच्छ विजय - इस नाम से क्यों पुकारा जाता है?
हे गौतम! कच्छ विजय के अंतर्गत, वैताढ्य पर्वत के दक्षिण में, सीता महानदी के उत्तर में, गंगा महानदी के पश्चिम में, सिंधु महानदी के पूर्व में, दक्षिणार्द्ध कच्छ विजय के ठीक मध्य में क्षेमा नामक राजधानी बतलाई गई है। इसका वर्णन विनीता राजधानी की तरह कथनीय है।
क्षेमा राजधानी में षट्खण्डाधिपति कच्छ नामक चक्रवर्ती राजा है। वह हिमालय की तरह अत्यंत गौरवशाली यावत् अभिनिष्क्रमण को छोड़कर मानुषिक भोग प्राप्त करने तक का सारा वर्णन भरत चक्रवर्ती की तरह योजनीय है। कच्छ विजय में अत्यंत वैभवशाली यावत् एक पल्योपम स्थितिक देव निवास करता है।
हे गौतम! यों कच्छ नामक देव के रहने से वह कच्छ विजय के नाम से विख्यात है यावत् इसका यह नाम नित्य एवं शाश्वत है। .
चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत
(१११) कहि णं भंते! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते?
गोयमा! सीयाए महाणईए उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं कच्छविजयस्स पुरत्थिमेणं सुकच्छविजयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्वए' पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सोलसजोयणसहस्साई पंच य बाणउए जोयणसए दुण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं णीलवंत
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