________________
२७४
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र *-------00-10-08-12-12-12-12-12-20-04-11-18-2-8-12-02-12-10-08-00-00-00-- -00-00-00---- देवी रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं रययकूडे भोगमालिणी देवी रायहाणी उत्तरपुरथिमेणं, अवसिट्ठा कूडा उत्तरदाहिणेणं णेयव्वा एक्केणं पमाणेणं।
भावार्थ - हे भगवन्! महाविदेह क्षेत्र में माल्यवान् संज्ञक वक्षस्कार पर्वत कहाँ आख्यात हुआ है?
हे गौतम! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत मंदर पर्वत के उत्तर-पूर्व में, नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, उत्तरकुरु के पूर्व में तथा कच्छ नामक चक्रवर्ती विजय के पश्चिम में महाविदेह क्षेत्र में प्रतिपादित हुआ है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। गंधमादन पर्वत का जैसा प्रमाण और विस्तार बताया गया है, वैसा ही इसका है। इतनी विशेषता है - यह संपूर्णतः वैदूर्य-नीलम रत्न निर्मित है। अवशिष्ट सभी बातें उस जैसी ही है यावत् हे गौतम! निम्नांकित नौ कूट आख्यात हुए हैं -
गाथा - सिद्धायतन, माल्यवान्, उत्तरकुरु, कच्छ, सागर, रजत, शीतोद, पूर्णभद्र तथा हरिसहकूट॥ १॥
हे भगवन्! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत पर सिद्धायतन कूट की अवस्थिति कहाँ बतलाई गई है?
हे गौतम! मंदर पर्वत के उत्तर-पूर्व में तथा माल्यवान् कूट के दक्षिण-पश्चिम में सिद्धायतन कूट आख्यात हुआ है। वह ऊँचाई में पाँच सौ योजन प्रमाण है यावत् राजधानी पर्यन्त अवशिष्ट समस्त वर्णन पूर्वानुरूप योजनीय है। ____ माल्यवान्, उत्तरकुरु तथा कच्छकूट की दिशाएँ, प्रमाण आदि सिद्धायतन कूट के तुल्य हैं। यों चारों कूटों का वर्णन एक समान ज्ञातव्य है। इन कूटों के नामों के अनुरूप नामधारी देव इन-इन कूटों पर निवास करते हैं।
हे भगवन्! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत पर सागरकूट किस स्थान पर प्रतिपादित हुआ है?
हे गौतम! सागरकूट कच्छकूट के उत्तर-पूर्व तथा रजतकूट के दक्षिण में कहा गया है। यह ऊँचाई में पाँच सौ योजन है। अवशिष्ट सारा वर्णन पूर्वानुरूप ग्राह्य है। वहाँ सुभोगा नामक देवी रहती है। उत्तर-पूर्व में उसकी राजधानी है। रजतकूट पर भोगमालिनी संज्ञक देवी निवास करती है। उसकी राजधानी उत्तर-पूर्व में स्थित है।
अवशिष्ट कूट उत्तर-दक्षिण में है, यह ज्ञातव्य है। इनका प्रमाण एक समान है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org