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तृतीय वक्षस्कार - मेघमुख देवों का उपसर्ग
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उत्कृष्ट वज्र, हीरक आदि को भेद डालने में सक्षम थी। अधिक क्या कहा जाय-वह सर्वत्र रुकावट से रहित थी। फिर जंगम-गमनशील प्राणियों के देह भेदन की तो बात ही क्या?
. गाहा - वह तलवार लम्बाई में पचास अंगुल, चौड़ाई में सोलह अंगुल तथा मोटाई में अर्द्ध अंगुल प्रमाण थी। इस प्रकार की ज्येष्ठ-श्रेष्ठ प्रमाण की तलवार उत्तम कही गई है। .
उस असि रत्न को लेकर सुषेण सेनापति जहाँ आपात किरात थे, वहाँ पहुँचा, उनके साथ युद्ध सन्नद्ध हुआ। सेनापति ने इनको हत, मथित कर डाला। कुछेक प्रबल योद्धाओं को घायल कर दिया यावत् वे आपात किरात एक दिशा से दूसरी दिशा में भाग छूटे।
मेघमुख देवों का उपसर्ग
(७४) तए णं ते आवाडचिलाया सुसेणसेणावइणा हयमहिय जाव पडिसेहिया समाणा भीया तत्था वहिया उव्विग्गा संजायभया अत्थामा अबला अवीरिया अपुरिसक्कारपरक्कमा अधारणिजमितिकटु अणेगाई जोयणाई अवक्कमंति २ त्ता एगयओ मिलायंति २ ता जेणेव सिंधू महाणई तेणेव उवागच्छंति २ त्ता वालुयासंथारए संथरेंति २ त्ता वालुयासंथारए दुरूहंति २ त्ता अट्ठमभत्ताइं पगिण्हंति २ त्ता वालुयासंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया जे तेसिं कुलदेवया मेहमुहा णामं णागकुमारा देवा ते मणसीकरेमाणा २ चिटुंति। तए णं तेसिमावाडचिलायाणं अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि मेहमुहाणं णागकुमाराणं देवाणं आसणाई चलंति,
तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा आसणाई चलियाई पासंति २ त्ता ओहिं पउंजंति २ त्ता आवाडचिलाए ओहिणा आभोएंति २ त्ता अण्णमण्णं सद्दावेंति २ ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे वासे आवाडचिलाया सिंधूए महाणईए वालुयासंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया अम्हे कुलदेवए मेहमुहे णागकुमारे देवे मणसीकरेमाणा २ चिटुंति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं आवाडचिलायाणं अंतिए पाउन्भवित्तए.त्तिकटु
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