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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र *-*-*-*-*-**-**-**-12-28-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*--*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-08-28-18-18-18-**-**-*--*-** ___ वह पूर्व-पश्चिम में लम्बी एवं उत्तर-दक्षिण में चौड़ी है। उसकी लम्बाई बारह योजन तथा चौड़ाई नौ योजन है। वंह नगरी ऐसी है, मानो अपने बुद्धि कौशल से इसका निर्माण किया हो। उसके परकोटे सोने से बने हैं। उनमें विविध प्रकार की पंचरंगी मणियों से बने हुए कंगूरे लगे हैं, जिससे वह सुशोभित हो रही है। वह स्वर्ग की राजधानी अलकापुरी जैसी प्रतीत होती है। लोग वहाँ आनंदोत्साह में लगे रहते हैं। वह प्रत्यक्ष स्वर्ग के सदृश है। वह वैभव, सुरक्षा तथा समृद्धि युक्त है। वहाँ के नागरिक एवं अन्य स्थानों से आये हुए लोग वहाँ आमोद-प्रमोद पूर्वक - यावत् वह प्रतिरूप-मन में बस जाने वाली है।
चक्रवर्ती सम्राट भरत
(५२) तत्थ णं विणीयाए रायहाणीए भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्टी समुप्पजित्था, महयाहिमवंतमहंतमलयमंदर जीव रजं पसासेमाणे विहरइ। बिइओ गमो राय- . वण्णगस्स इमो-तत्थ असंखेजकालवासंतरेण उप्पजए जसंसी उत्तमे अभीजाए सत्तवीरियपरक्कमगुणे पसत्थवण्णसरसारसंघयणतणुगबुद्धिधारणमेहासंठाणसीलप्पगई पहाणगारवच्छायागईए अणेगवयणप्पहाणे तेयआउबलवीरियजुत्ते अझुसिरघणणिचियलोहसंकलणारायवइरउसहसंघयणदेहधारी झस १ जुग २ भिंगार ३ वद्धमाणग ४ भद्दासण ५ संख ६ छत्त ७ वीयणि ८ पडाग ६ चक्क १० णंगल ११ मुसल १२ रह १३ सोत्थिय १४ अंकुस १५ चंदाइच्च १६-१७ अग्गि १८ जूय १९ सागर २० इंदज्झय २१ पुहवि २२ पउम २३ कुंजर २४ सीहासण २५ दंड २६ कुम्म २७ गिरिवर २८ तुरगवर २६ वरमउड ३० कुंडल ३१ णंदावत्त ३२ धणु ३३ कोंत ३४ गागर ३५ भवणविमाण ३६ - अणेगलक्खणपसत्थसुविभत्तचित्तकरचरणदेसभाए उड्ढामुहलोमजाल-सुकुमाल-णिद्धमउआवत्त-पसत्थलोमविरइयसिरिवच्छच्छण्णविउलवच्छे देसखेत्तसुविभत्तदेहधारी तरुणरविरस्सिबोहियवरकमलविबुद्धगब्भवण्णे हयपोसणकोससण्णिभपसत्थपिटुंतणिरुवलेवे पउमुप्पल
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