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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र ८८ *-*-*--*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*---*-*-09-12-00-00-00-00-00-00-00-00-00-12---------- ईशानेन्द्र का आसन चलायमान हुआ। ईशानेन्द्र यावत् देवराज ने जब अपने आसन को चलायमान देखा तो अपने अवधिज्ञान का प्रयोग किया। अवधिज्ञान द्वारा भगवान् को देखा। देखकर यावत् शक्रेन्द्र की ज्यों सपरिवार आया, पर्युपासनारत हुआ। इसी प्रकार सभी देवेन्द्र यावत् अच्युत देवलोकों के अधिपति अपने-अपने देव परिवार के साथ आए यावत् भवनवासी देवों के बीस इन्द्र, वाणव्यंतर देवों के सोलह इन्द्र तथा ज्योतिष्क देवों के दो इन्द्र - सूर्य एवं चन्द्र अपने-अपने परिवारों के साथ अष्टापद पर्वत पर पहुंचे। (४३) तए णं सक्के देविंदे देवराया ते बहवे भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! णंदणवणाओ सरसाइं गोसीसवरचंदणकट्ठाई साहरइ २ त्ता तओ चिड़गाओ रएह एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहराणं एगं अवसेसाणं अणगाराणं। तए णं ते० भवणवइ जाव वेमाणिया देवा णंदणवणाओ सरसाइं गोसीसवरचंदणकट्ठाइं साहरंति २ त्ता तओ चिइगाओ रएंति, एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहराणं एगं अवसेसाणं अणगाराणं, तए णं से सक्के देविंदे देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ २ त्ता एवं वसासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! खीरोदगसमुद्दाओ खीरोदगं साहरह तए णं ते आभिओगा देवा खीरोदगसमुद्दाओ खीरोदगं साहरंति, तए णं से सक्के देविंदे देवराया तित्थगरसरीरगं खीरोदगेणं ण्हाणेइ २ ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपइ २ ता हंसलक्खणं पडसाडयं णियंसेइ २ त्ता सव्वालंकारविभूसियं करेइ, तए णं ते० भवणवइ जाव वेमाणिया० गणहरसरीरगाइं अणगार-सरीरगाइंपि खीरोदगेणं ण्हावेंति २ ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपंति २ त्ता अहताई दिव्वाइं देवदूसजुयलाई णियंसेंति २ त्ता सव्वालंकारविभूसियाई करेंति, तए णं से सक्के देविंदे देवराया ते बहवे भवणवइ जाव वेमाणिए देवे एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! ईहामिग-उसभ-तुरय जाव वणलयभत्तिचित्ताओ तओ सिवियाओ विउव्वह, एगं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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