________________
वर्ग ३ अध्ययन ८ - भगवान् का द्वारिका पदार्पण - ६३ 本來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來. ज्ञाता था। उस ब्राह्मण की पत्नी का नाम सोमश्री था। वह अत्यन्त सुकुमार एवं सुरूप थी। उस सोमिल ब्राह्मण की पुत्री एवं सोमश्री ब्राह्मणी की अंगजात ‘सोमा' नाम की कन्या थी, जो सुकुमार यावत् रूपवती थी और आकृति तथा लावण्य में उत्कृष्ट थी। वह सोमा बालिका पांचों इन्द्रियों से परिपूर्ण एवं अवयवों की यथावत् स्थिति के कारण उत्कृष्ट शरीर-शोभा वाली थी।
तए णं सा सोमा-दारिया अण्णया कयाई ण्हाया जाव विभूसिया बहूहिं खजाहिं जाव परिक्खित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायमग्गंसि कणगतिंदूसएणं कीलमाणी कीलमाणी चिट्टइ। · कठिन शब्दार्थ - ण्हाया - स्नान कर, विभूसिया - विभूषित होकर, बहूहिं - बहुत सी, खुज्जाहिं - कुब्जा दासियों से, परिक्खित्ता - घिरी हुई, गिहाओ - घर से, रायमग्गे - राजमार्ग पर, कणगतिंदूसएणं - सुवर्ण की (सुवर्ण तारों से गठित) गेंद से, कीलमाणी - खेलती हुई। ___भावार्थ - एक दिन सोमा बालिका स्नानादि कर के तथा वस्त्राभूषणों से अलंकृत हो कर अनेक कुब्जा दासियों से तथा अन्य दूसरी दासियों से घिरी हुई अपने घर से निकल कर राजमार्ग. पर आई और वहाँ सोने की गेंद से खेलने लगी। भगवान् का द्वारिका पदार्पण
- (३२) - तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठणेमि समोसढे, परिसा णिग्गया।
तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लद्धटे समाणे हाए जाव विभूसिए गयसुकुमालेणं कुमारेणं सद्धिं हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्धुव्वमाणीहिं उद्धुव्वमाणीहिं बारवईए णयरीए मज्झमझेणं अरहओ अरिट्टणेमिस्स पायवंदए णिगच्छमाणे सोमं दारियं पासइ, पासित्ता सोमाए दारियाए रूवेण य जोव्वणेण य जाव विम्हिए।
कठिन शब्दार्थ - हत्थिखंधवरगए - श्रेष्ठ हाथी के हौदे पर, सकोरंटमल्लदामेणं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org