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वर्ग ८ अध्ययन ८ - रामकृष्णा आर्या
२१३ ******************************************************** ** सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता वीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। चउत्थी लया॥
भावार्थ - फिर छह, सात, आठ, नौ और पाँच किये। यह चौथी लता हुई॥४॥
अट्ठारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता वीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। पंचमी लया। . भावार्थ - फिर आठ, नौ, पाँच, छह और सात किये। यह पाँचवीं लता हुई ॥५॥
एक्काए कालो छम्मासा वीस य दिवसा। चउण्हं दो वरिसा दो मासा वीस य दिवसा। सेसं तहेव जहा काली जाव सिद्धा।
'भावार्थ - एक परिपाटी में छह मास और बीस दिन लगे। चारों परिपाटी में दो वर्ष, दो मास और बीस दिन लगे। ___रामकृष्णा आर्या भी काली आर्या के समान सभी कर्मों का क्षय कर के सिद्ध-पद को प्राप्त हुई।
. विवेचन - भद्रोतर प्रतिमा का अर्थ है - भद्रा - कल्याण की प्रदाता उत्तर-प्रधान। यह प्रतिमा परम कल्याणप्रद होने से भद्रोत्तर प्रतिमा कही जाती है। यह पांच उपवास से प्रारम्भ होकर नौ उपवास तक की जाती है। इसकी एक परिपाटी में छह माह बीस दिन लगे जिसमें तप दिन १७५ और पारणे के दिन २५। चारों परिपाटियों में दो वर्ष, दो माह और बीस दिन का समय लगा।
भद्रोतर प्रतिमा [पहली लता ५ | ६ | ७. ८ | ६ | | दूसरी लता | ७ | ८ | | ५ | ६ तप दिन - १७५ | तीसरी लता | ६ | ५ | ६ | ७ |८|
पारणे - २५ चौथी लता | ६ | ७ | पांचवीं लता ८ ६ ५ ६ ७ |
॥ आठवें वर्ग का आठवां अध्ययन समाप्त॥
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