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________________ अटुमं अज्झयण आठवां अध्ययन रामकृष्णा आर्या (६) एवं रामकण्हा वि, णवरं भद्दोत्तरपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहर । तं जहा - दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता वीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारे । पढमा लया । कठिन शब्दार्थ - भद्दोत्तरपडिमं - भद्रोत्तर प्रतिमा । भावार्थ रामकृष्णा देवी का चरित्र भी इसी प्रकार है। यह भी श्रेणिक राजा की रानी और कोणिक की छोटी माता थी । दीक्षा ली और आर्य चन्दनबाला आर्या की आज्ञा प्राप्त कर 'भद्रोत्तर - प्रतिमा' तप किया। उसकी विधि इस प्रकार है- सर्व प्रथम पचोला किया। पारणा किया । फिर क्रमशः छह, सात, आठ और नौ किये। प्रथम परिपाटी के सभी पारणों में विगयों का सेवन वर्जित नहीं था । यह प्रथम लता हुई ॥१॥ - - सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठारसमं करेइ, करिता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता वीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउदसमं करे, करिता सव्वकामगुणियं पारे । बीया लया । I भावार्थ - फिर सात, आठ, नौ, पाँच और छह किये। यह दूसरी लता हुई ॥ २ ॥ Jain Education International वीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करोड़, रित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चोद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारे । तझ्या लया । भावार्थ - फिर नौ, पाँच, छह, सात और आठ किये। यह तीसरी लता हुई ॥ ३ ॥ चसमं करे, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता सोलसमं करेइ, करित्ता For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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