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क्रं. विषय
पृष्ठ क्रं. विषय ४२. देवकी देवी का चिन्तन
४६ / ६६. वृद्ध पर अनुकम्पा एवं सहयोग ७६ ४३. देवकी की शंका
४६ / ६७. गजसुकुमाल अनगार के बारे में पृच्छा ८० ४४. भगवान् अरिष्टनेमि का समाधान
| ६८. सोमिल द्वारा मोक्ष प्राप्ति में सहायता । ४५. पुत्रों की पहचान, छह अनगारों को वंदन ५२ | ६६. भ्रात मुनि घातक कौन? ४६. देवकी की पुत्र-अभिलाषा
| ७०. पहचान का उपाय - ४७. देवकी का आर्तध्यान
| ७१. कृष्ण और सोमिल की भेंट ४८. माता-पत्र का वार्तालाप
| ७२. सोमिल की मौत ४६. श्रीकृष्ण का प्रयास
७३. सोमिल शव की दुर्दशा ५०. देवकी को शुभ समाचार
७४. उपसंहार ५१. गर्भ पालन
७५. नवम अध्ययन - सुमुखकुमार ५२. गजसुकुमाल का जन्म : . | ७६. शेष (१०-१३) अध्ययन . ५३. सोमिल की पुत्री सोमा
। चतुर्थ वर्ग ९१-९३ ५४. भगवान् का द्वारिका पदार्पण | ७७. परिचय
६१ ५५. सोमा कन्या की याचना
७८. प्रथम अध्ययन-जालिकुमार का वर्णनहर ५६. भगवान् का धर्मोपदेश
| ७६. शेष नौ अध्ययन ५७. गजसुकुमाल को वैराग्य
पंचम वर्ग . ९४-११५ ५८. माता पिता से दीक्षा हेतु आग्रह
| ८०. परिचय ५६. एक दिन की राज्यश्री और प्रव्रज्या
८१. प्रथम अध्ययन - पद्मावती ६०. गजसुकुमाल अनगार द्वारा - ..
८२. भगवान् अरिष्टनेमि का पदार्पण . भिक्षु प्रतिमा ग्रहण
८३. द्वारिका विनाश का कारण ६१. सोमिल का क्रोध
८४. कृष्ण का पश्चात्ताप ६२. गजसुकुमाल अनगार के सिर पर अंगारे
८५. वासुदेव निदानकृत होते हैं .. ६३. असह्यवेदना और मोक्ष गमन . ७४
८६. भविष्य पृच्छा
१०० ६४. पांच दिव्य प्रकट
७७
८७. भगवान् द्वारा भविष्य कथन १०० ६५. कृष्ण वासुदेव का भगवान् की
८८. आगामी भव में तीर्थंकर और मुक्ति १०१ सेवा में जाना
८९. हर्षावेश और सिंहनाद . १०२
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