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बारसमं अज्ायणं - बारहवां अध्ययन
सुमनभद्र गाथापति एवं सुमणभद्दे बिगाहावई सावत्थी णयरी। बहुवासा परियाओ। विपुले सिद्धे।
भावार्थ - इसी प्रकार सुमनभद्र गाथापति का वर्णन है। ये श्रावस्ती नगरी के थे। दीक्षा ले कर बहुत वर्षों तक श्रमण पर्याय का पालन किया और विपुलगिरि पर सिद्ध हुए।
॥ छठे वर्ग का बारहवाँ अध्ययन समाप्त।
तैरसमं अज्झयणं - तेरहवां अध्ययन
सुप्रतिष्ठ गाथापति एवं सुपइट्टे वि गाहावई सावत्थी णयरी सत्तावीसं वासा परियाओ। विपुले मिद्धे) ____ भावार्थ - इसी प्रकार सुप्रतिष्ठ गाथापति का वर्णन है। ये श्रावस्ती नगरी के थे। दीक्षा ले कर सत्ताईस वर्ष तक संयम का पालन किया और विपुलगिरि पर सिद्ध हुए।
॥छठे वर्ग का तेरहवाँ अध्ययन समाप्त।
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