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________________ ************<<<<<< कठिन शब्दार्थ - अडमाणं माता, घूमते हुए, इत्थिओ - स्त्रियों, पुरिसा - पुरुषों, डहराजवान, पिया - पिता, मारिए मारा, माया भाया भाई, भगिणी बहिन, भज्जा भार्या (पत्नी), पुत्ते बच्चे, महल्ला वृद्ध, जुवा पुत्र, धूया पुत्री, वर्ग ६ अध्ययन ३ - अर्जुन अनगार को उपसर्ग <<<<<<<s Jain Education International - - W - - - - . स्वजन, संबंधि - संबंधी, परियणे - - - सुण्हा - पुत्रवधू, सयण आक्रोश करते हैं, हीलंति' - हीलना करते हैं, जिंदंति - निंदा करते हैं, खिसंति - खिजाते For Personal & Private Use Only - - १४५ * - हैं, गरिहंति - गर्हा करते हैं, तज्जेंति - तर्जना करते हैं, तालेंति - ताड़ना करते हैं। भावार्थ राजगृह नगर में ऊंच-नीच, मध्यम कुलों में गृह सामुदायिक भिक्षा के लिए फिरते हुए अर्जुन अऩगार को देखा, तो स्त्री, पुरुष, बच्चे, वृद्ध और युवक सभी लोगों में से कोई इस प्रकार कहने लगे - 'इसने मेरे पिता को मारा। इसने मेरी माता मारी। इसने मेरा भाई मारा। इसने मेरी बहन मारी। इसने मेरी पत्नी मारी। इसने मेरा पुत्र मारा। इसने मेरी पुत्री मारी। इसने मेरी पुत्रवधू मारी। इसने मेरे अमुक स्वजन सम्बन्धी को मारा' - ऐसा कह कर कई कटु वचनों से उनका तिरस्कार करने लगे, कई निन्दा करने लगे, कई उनको खिझाने लगे, कई उनके दोषों को प्रकट करने लगे, कोई उन्हें तर्जना करने लगे और कोई उन्हें थप्पड़, लाठी, ईंट आदि से मारने लगे । विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में प्रयुक्त अक्कोसंति आदि शब्दों का विशेष अर्थ इस प्रकार हैंअक्कोसंति - कटु वचनों से भर्त्सना करते हैं । भर्त्सना का अर्थ है - लानत, मलामत, फटकार, बुराभला कहना। हीलंति अनादर अपमान करते हैं। णिदंति - निंदा करते हैं, निंदा का अर्थ है - किसी के दोषों का वर्णन करना । खिसंति खीजते हैं, झुंझलाते हैं, कुढते हैं, दुर्वचन कह कर क्रोधावेश में लाने का प्रयत्न करते हैं। गरिहंति - दोषों को प्रकट करते हैं। तज्जेंति - तर्जना करते हैं डांटते हैं, डपटते हैं, तर्जनी आदि अंगुलियों से भयोत्पन्न करने का प्रयत्न करते हैं। तालेंति - लाठियों और पत्थरों आदि से मारते हैं। परिजन को, अक्कोसंति - www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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