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________________ १३७ वर्ग ६ अध्ययन ३ - यक्ष की हार 來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來****** 字字來來來來來來來來來來來來來來來 कठिन शब्दार्थ - तेयसा - तेज से, समभिपडित्तए - अभिभूत नहीं कर सका अर्थात् उसे कष्ट नहीं पहुंचा सका। . भावार्थ - वह मुद्गरपाणि यक्ष एक हजार पल के बने हुए उस लोह के मुद्गर को घुमाता हुआ सुदर्शन श्रमणोपासक के निकट आया। किन्तु सुदर्शन श्रमणोपासक को अपने तेज से अभिभूत नहीं कर सका अर्थात् उसे किसी प्रकार से कष्ट नहीं पहुंचा सका। ____विवेचन - चार तोले का एक पल होता है। ऐसे १००० पल का एक मुद्गर था उसे धारण करने वाले यक्ष की शक्ति निर्भिक सुदर्शन श्रावक के तेज से फीकी पड़ गई। यथा - 'जोधपुर के किले को नष्ट करने के लिए जयपुर नरेश ने धूलि का ढिंग कर उस पर तोपे रखी दाग छोड़ने वाली थी कि एक अन्धे-गोलन्दाज ने पूर्वबद्ध निशाने के अनुसार गोला फेंका व तोपें नष्ट हो गई तथा सारी सेना नष्ट हो गई। - यक्ष की हार . तए णं से मोग्गरपाणी-जक्खे सुदंसणं समणोवासयं सव्वओ समंताओ परिघोलेमाणे परिघोलेमाणे जाहे णो चेवणं संचाएइ सुदंसणं समणोवासयं तेयसा समभिपडित्तए ताहे सुदंसणस्स समणोवासयं पुरओ सपक्खिं सपडिदिसिं ठिच्चा सुदंसणं समणोवासयं अणिमिसाए ट्ठिीए सुचिरं णिरिक्खिइ, णिरिक्खित्ता अज्जुणयस्स मालागारस्स सरीरं विप्पजहइ, विप्पजहित्ता तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गहाय जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए। ___कठिन शब्दार्थ - सव्वओ समंताओ - सब तरफ से चारों ओर, परिघोलेमाणे - घूमते हुए, पुरओ - सामने, सपक्खिं सपडिदिसिं - बिल्कुल सीध में - सामने, ठिच्चा - खड़े रहकर, अणिमिसाए दिट्ठीए - अनिमेष दृष्टि से, सुचिरं - बहुत देर तक, णिरिक्खिइदेखता रहा, विप्पजहइ - छोड़ देता है। . भावार्थ - वह मुद्गरपाणि यक्ष, सुदर्शन श्रमणोपासक के चारों ओर घूमता हुआ जब किसी भी प्रकार से उनके ऊपर अपना बल नहीं चला सका, तो सुदर्शन श्रमणोपासक के सामने आ कर खड़ा हो गया और अनिमेष दृष्टि से उन्हें बहुत देर तक देखता रहा। इसके बाद यक्ष ने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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