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________________ वर्ग ६ अध्ययन ३ - सागारी अनशन ग्रहण *************** * *** **** ** ***** १३५ ************ *** *** सुदर्शन की निर्भीकता (६६) . . तएणं से मोग्गरपाणी जक्खे सुदंसणं समणोवासयं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं पासइ, पासित्ता आसुरुत्ते तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं उल्लालेमाणे उल्लालेमाणे जेणेव सुदंसणे समणोवासए तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ____ भावार्थ - सुदर्शन श्रमणोपासक को जाते हुए देख कर मुद्गरपाणि यक्ष कुपित हुआ और एक हजार पल का लोहमय मुद्गर घुमाता हुआ सुदर्शन सेठ की ओर जाने लगा। सागारी अनशन ग्रहण _तए णं से सुदंसणे समणोवासए मोग्गरपाणिं जक्खं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता अभीए अतत्थे अणुव्विग्गे अक्खुभिए अचलिए असंभंते वत्थंतेणं भूमिं पमजइ, पमजित्ता करयल एवं वयासी - "णमोत्थुणं अरहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं, णमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स पुव्विं च णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावजीवाए, थूलए मुसावाए, थूलए अदिण्णादाणए, सदारसंतोसे कए जावज्जीवाए इच्छापरिमाणे कए जावजीवाए। तं इयाणिं पि णं तस्सेव अंतियं सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावजीवाए सव्वं मुसावायं सव्वं अदिण्णादाणं सव्वं मेहणं सव्वं परिग्गह पच्चक्खामि जावज्जीवाए, सव्वं कोहं जाव मिच्छादसणसल्लं पच्चक्खामि जावजीवाए, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउव्विहं पि आहारं पच्चक्खामि जावजीवाए। ___ जइ णं एत्तो उवसग्गाओ मुच्चिस्सामि तो मे कप्पइ पारेत्तए। अहणं एत्तो उवसग्गाओ ण मुच्चिस्सामि तओ मे तहा पच्चक्खाए चेव त्ति कटुं सागारं पडिमं · पडिवज्जइ। .. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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