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________________ १२५ वर्ग ६ अध्ययन ३ - प्रतिदिन सात प्राणियों की हत्या 來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來华林书本书本书本本來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來 यक्षाविष्ट अर्जुनमाली का कोप (६६) ____तए णं से मोग्गरपाणिजक्खे अजुणयस्स मालागारस्स अयमेयारूवं अज्झत्थियं जाव वियाणित्ता अजुणयस्स मालागारस्स सरीरयं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता तडतडस्स बंधाई छिंदइ, तं पलसहस्सणिप्फण्णं अयोमयं मोग्गरं गिण्हइ, गिण्हित्ता ते इत्थिसत्तमे छ पुरिसे घाएइ। - कठिन शब्दार्थ - तड़तडस्स - तडतड, बंधाई - बंधनों को, छिंदइ - तोड़ता है, इत्थिसत्तमे - सातवीं स्त्री, घाएइ - मार डालता है। भावार्थ - तब मुद्गरपाणि यक्ष ने अर्जुन माली के मन में आये हुए विचार जान कर उसके शरीर में प्रवेश किया और उसके बन्धनों को तड़तड़ तोड़ डाला। उसके बाद मुद्गरपाणि .यक्ष से आविष्ट वह अर्जुन माली, एक हजार पल परिणाम (वर्तमान के तोल के साढ़े बासठ सेर अर्थात् एक मन साढ़े बाईस सेर) लोह के मुद्गर को ले कर बन्धुमती सहित उन छहों गोष्ठिक पुरुषों को मार डाला। प्रतिदिन सात प्राणियों की हत्या तए णं से अज्जुणए मालागारे मोग्गरपाणिणा जक्खेणं अण्णाइढे समाणे रायगिहस्स णयरस्स परिपेरंतेणं कल्लाकल्लिं छ इत्थिसत्तमे पुरिसे (पाठान्तरेइत्थिसत्तमे छ पुरिसे*)घाएमाणे विहरइ। कठिन शब्दार्थ - जक्खेणं - यक्ष से, अण्णाइटे - आविष्ट (वशीभूत), परिपेरंतेणंचारों ओर। - भावार्थ - इस प्रकार इन सातों को मार कर मुद्गरपाणि यक्ष से आविष्ट वह अर्जुन माली, राजगृह नगर के बाहर प्रतिदिन छह पुरुष और एक स्त्री, इस प्रकार सात मनुष्यों को मारता हुआ घूमने लंगा। * यह पाठ सोलहवीं शताब्दी की एक हस्तलिखित प्रति में है। यह प्रति जैनाचार्य पू० श्री हस्तीमलजी म. सा. के पास देखी गयी थी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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