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________________ वर्ग ५ अध्ययन १ - पद्मावती आर्या की साधना और मुक्ति १०६ ******************************************************** भगवान् अरिष्टनेमि के समीप आई और उन्हें वंदन-नमस्कार कर इस प्रकार बोली - 'हे भगवन्! यह संसार जन्म, जरा और मरण आदि दुःख रूपी अग्नि से प्रज्वलित हो रहा है। अतः इस दुःख-समूह से छुटकारा पाने के लिए आपसे दीक्षा अंगीकार करना चाहती हूँ। अतः आप कृपा कर के मुझे प्रव्रजित कीजिये यावत् चारित्र धर्म सुनाइये।' विवेचन - शंका - पंचमौष्टिक लोच से 'क्या पांच बार में ही सारे बालों का लोच हो' ऐसा समझना चाहिये? समाधान - मस्तक के बीच की एक मुट्ठी तथा चारों ओर की चार मुट्ठी इस प्रकार मस्तक का माप पंचमौष्टिक - पांच मुट्ठी माना गया है। मस्तक के बालों को हाथ से उखाड़ उखाड़ कर दूर करना लोच कहलाता है। ‘पांच बार में ही सारे बालों का लोच हो' ऐसा नहीं समझना चाहिये। पद्मावती आर्या की साधना और मुक्ति (५८) तए णं अरहा अरिट्टणेमी पउमावई देविं सयमेव पव्वावेइ, सयमेव मुंडावेइ, सयमेव जक्खिणीए अज्जाए सिस्सिणी दलयइ। तए णं सा जक्खिणी अज्जा पउमावई देविं सयं पव्वावेइ जाव संजमियव्वं । तए णं सा पउमावई जाव संजमइ। तए णं सा पउमावई देवी अज्जा ज़ाया, ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी। - कठिन शब्दार्थ - पव्वावेइ - प्रव्रजित किया, मुंडावेइ - मुण्डित किया, जक्खिणीए अज्जाए - यक्षिणी आर्या, सिस्सिणी - शिष्या के रूप में, दलयइ - दे दिया, ईरियासमियाईर्या समिति आदि से युक्त, गुत्तबंभयारिणी - गुप्त ब्रह्मचारिणी। . भावार्थ - भगवान् अरिष्टनेमि ने पद्मावती देवी को स्वयमेव प्रव्रजित और मुण्डित कर के यक्षिणी आर्या को शिष्या के रूप में दे दी। यक्षिणी आर्या ने पद्मावती देवी को प्रव्रजित किया और संयम-क्रिया में सावधान रहने की शिक्षा देते हुए कहा - 'हे पद्मावती! तुम संयम में सदा सावधान रहना।' पद्मावती भी यक्षिणी आर्या के कथनानुसार संयम में यत्न करने लगी और ईर्या समिति आदि पांचों समिति से युक्त हो कर ब्रह्मचारिणी बन गई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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