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वर्ग ३ अध्ययन ६ - सुमुखकुमार 林本来来来来来来来来来来来来来来来来来来中中中中中中中中中中中中中中中中中來來來來來來來來來來來來來來來來來 स्वप्न के अनुसार उसके यहाँ एक पुण्यशाली पुत्र का जन्म हुआ। इसके जन्म, बाल्यकाल आदि का वर्णन गौतमकुमार के समान है। उसका नाम 'सुमुख' रखा गया। यौवन अवस्था प्राप्त होने पर उस कुमार का पचास राजकन्याओं के साथ विवाह हुआ और विवाह में पचास-पचास करोड़ सौनेया आदि का दहेज मिला।
किसी समय भगवान् अरिष्टनेमि वहाँ पधारे। उनकी वाणी सुन कर सुमुख ने उनके पास दीक्षा अंगीकार की। चौदह पूर्वो का अध्ययन किया और बीस वर्ष पर्यन्त चारित्र पर्याय का पालन किया। अन्त में शत्रुजय पर्वत पर संथारा कर के सिद्ध हुए। __ हे जम्बू! श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने अंतगडदशा नामक आठवें अंग के तीसरे वर्ग के नौवें अध्ययन का उपरोक्त भाव कहा है।
॥ तीसरे वर्ग का नववाँ अध्ययन समाप्त॥
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