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अष्टविध गणिसंपदा
२३ xxxkakakakakakakakakakakakakakakkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk उग्गहमइसंपया छव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - खिप्पं उगिण्हेइ, बहु उगिण्हेइ, बहुविहं उगिण्हेइ, धुवं उगिण्हेइ, अणिस्सियं उगिण्हेइ, असंदिद्धं उगिण्हेइ।से तं उग्गहमइसंपया। एवं ईहामइवि। एवं अवायमइंवि।से किं तं धारणामइसंपया? धारणामइसंपया छव्विहा पण्णत्ता। तंजहा-बहु धरेइ, बहुविहं धरेइ, पोराणं धरेइ, दुद्धरं धरेइ, अणिस्सियं धरेइ, असंदिद्धं धरेइ। से तं धारणामइसंपया से तं मइसंपया॥६॥
से किं तं पओगमइसंपया? पओगमइसंपया चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - आयं विदाय वायं पउंजित्ता भवइ, परिसं विदाय वायं पउंजित्ता भवइ, खेत्तं विदाय वायं पउंजित्ता भवइ, वत्थु विदाय वायं पउंजित्ता भवइ। से तं पओगमइसंपया॥७॥
से किं तं संगहपरिण्णा णामं संपया? संगहपरिण्णा णामं संपया चउव्विहा पण्णत्ता। तंजहा - बहुजणपाउग्गयाए वासावासेसु खेत्तं पडिलेहित्ता भवइ, बहुजणपाउग्गयाए पाडिहारिय-पीढफलगसेज्जासंथारय उगिण्हित्ता भवइ, कालेणं कालं समाणइत्ता भवइ, अहागुरु संपूएत्ता भवइ। से तं संगहपरिण्णा णामं संपया ॥८॥
कठिन शब्दार्थ - अट्टविहा - अष्टविधा - आठ प्रकार की, गणिसंपया - गणिसंपदाआचार्य का वैभव, समृद्धि, सम्पन्नता, आयारसंपया - आचार संपदा, सुयसंपया - श्रुत संपदा, सरीरसंपया - शरीर संपदा, वयणसंपया - वचन संपदा, वायणासंपया - वाचना संपदा, मइसंपया - मतिसंपदा, पओगमइसंपया - प्रयोग मति संपदा, संगहपरिण्णा - संग्रह परिज्ञा, चउव्विहा - चतुर्विध, संजमधुवजोगजुत्ते - संयम-ध्रुव-योग-युक्त, असंपगहियअप्पाअसंप्रगृहीतात्मता - अहंकार शून्यता, अणियय-वित्ती - अनियतवृत्तिता - अप्रतिबंधविहारिता, वुड्डसीले - वृद्धशीलता, परिचियसुए - परिचित श्रुत - श्रुत का यथार्थ ज्ञान, विचित्तसुए - विचित्र श्रुत - स्व-पर शास्त्रवेत्ता, घोसविसुद्धिकारए - घोष विशुद्धिकारकता - आगम पाठ के विशुद्ध उच्चारण की विशिष्ट योग्यता, आरोहपरिणाहसंपण्णे - देह की समुचित लम्बाईचौड़ाई युक्त, अणोतप्पसरीरे - अनवत्राप्यता - अंगहीनत्व का अभाव (सुरूप आकार युक्तता), थिरसंघयणे - स्थिर संहनन - वज्रऋषभनाराचादि दृढ़ संहननशालिता, बहुपडिपुण्णिंदिए - बहुप्रतिपूर्णेन्द्रियता - इन्द्रियों की सर्वथा परिपूर्णता, आदेयवयणे - आदेय वचनता, महुरवयणेमधुर वचनता, अणिस्सियवयणे - अनिश्रित वचनता - निष्पन्न वचनता, विजयं उद्दिसइ - विदित्वा उद्दिशति - योग्यता को जानकर शिक्षा देना, वाएइ - वाचना देना, परिणिव्वावियं
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