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________________ दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र - तृतीय दशा xxxkakakakArAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAT सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं अच्छिंदित्ता भवइ आसायणा सेहस्स॥२९॥ सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स तीसे परिसाए अणुट्टियाए अभिण्णाए अवुच्छिण्णाए अवोगडाए दो(दु)च्चपि तच्चपि तमेव कहं कहित्ता भवइ आसायणा सेहस्स ॥३०॥ सेहे राइणियस्स सिज्जासंथारगं पाएणं संघट्टित्ता हत्थेण अणणुतावित्ता [अणणु( ण्णवे )वित्ता] गच्छइ भवइ आसायणा सेहस्स॥३१॥ सेहे राइणियस्स सिज्जासंथारए चिट्ठित्ता वा णिसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवइ आसायणा सेहस्स॥३२॥ सेहे राइणियस्स उच्चासणंसि वा समासणंसि वा चिट्ठित्ता वा णिसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवइ आसायणा सेहस्स॥३३॥ । - एयाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं तेत्तीसं आसायणाओ पण्णत्ताओ॥ ३४॥ ॥त्ति बेमि॥ ॥तइया दसा समत्ता॥३॥ कठिन शब्दार्थ - आसायणाओ - आशातनाएँ, सेहे - शैक्ष - अल्प दीक्षा पर्याय युक्त, राइणियस्स - रालिक, पुरओ - पुरतः - आगे, गंता - चलने वाला, सपक्खं - सपक्ष - बराबर में, आसण्णं - आसन्न - अति निकट, चिट्ठित्ता - खड़ा हो, णिसीइत्ताबैठे, सद्धिं - साथ, बहिया - बाहर, वियारभूमि - शारीरिक चिन्तानिवृत्ति भूमि - मलोत्सर्ग स्थान, पुव्वतरागं - पूर्वतर - पहले, आयमइ - शौच - शुद्धि, पच्छा - पश्चात्, विहारभूमिस्वाध्याय आदि के लिए स्थान, आलोएइ - आलोचना करे, पुव्वसंलवित्तए - पूर्व बातचीत करना, वियाले - विकाल में - संध्या समय में, वाहरमाणस्स - पूछे जाने पर, अज्जो - आर्य, के - कौन, सुत्ता - सुप्त - सोए हुए, जागरा - जगे हुए, जागरमाणे - जागता हुआ, अपडिसुणेत्ता - अनसुना कर (अप्रतिश्रुतकर), पडिगाहित्ता - प्रतिगृहीत कर - लाकर, पुष्यामेव - पूर्व ही, सेहतरागस्स - अन्य शैक्ष को, उवदंसेइ - उपदर्शित करे - दिखलाए, उवणिमंतेइ - उपनिमंत्रित करे - आमंत्रित करे, अणापुच्छित्ता - बिना पूछे, जस्स-जस्स - जिस-जिस को, तस्स-तस्स - उस-उसको, खद्ध - क्षणार्द्ध - आधे क्षण में (अतिशीघ्र), दलयइ - देता है, डार्ग - द्राक - विविधि प्रकार के शाक, ऊसढं - उत्तम, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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