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________________ व्यवहार सूत्र - सप्तम उद्देशक १२८ XXXXXX***★★★★★★★★★★★★★★★★tkkkkkkkkkkkk★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ इन सूत्रों में व्यतिकृष्ट काल का जो निर्देश हुआ है, वह केवल दिन एवं रात के द्वितीय तथा तृतीय प्रहर का सूचक है। अर्थात् इन चारों प्रहरों में कालिक सूत्रों का स्वाध्याय निषिद्ध है। - यहाँ साध्वियों के लिए स्वाध्याय के संबंध में जो निषेध नहीं किया गया है, वह आपवादिक है। ___ आगमों के मूल पाठ की परम्परा अक्षुण्ण एवं अपरिवर्तित रहे, इस हेतु कभी-कभी प्रवर्तिनी एवं तत्सान्निध्यवर्तिनी साध्वियों को आचार्य या उपाध्याय को पाठ सुनाना आवश्यक होता है। साधु-साध्वियों के लिए स्वाध्याय-अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय-विषयक विधि-निषेध . णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा असल्झाइए सज्झायं करेत्तए॥१९१॥ कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा सज्झाइए सज्झायं करेत्तए॥१९२॥ - कठिन शब्दार्थ - असज्झाइए - अस्वाध्याय काल में, सज्झाइए - स्वाध्याय काल में। भावार्थ - १९१. साधु-साध्वियों को अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय करना नहीं कल्पता। १९२. साधु-साध्वियों को स्वाध्याय काल में स्वाध्याय करना कल्पता है। विवेचन - इन सूत्रों में साधु-साध्वियों को स्वाध्याय काल में आगमों के स्वाध्याय करने का तथा अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय न करने का निर्देश है। जिनमें आगमों का स्वाध्याय किया जाना अविहित (निषिद्ध) है, वे स्थितियाँ अस्वाध्याय काल के अन्तर्गत आती है। उनमें से काल, औदारिक तथा आकाश से संबंधित स्थितियाँ क्रमशः बारह (१२), दस (१०) एवं दस (१०) हैं। इस प्रकार बत्तीस (३२) अस्वाध्याय काल माने गए हैं। इनसे रहित स्थितियाँ स्वाध्यायोपयोगी हैं। निशीथ सूत्र के उद्देशक १९ में स्वाध्याय-अस्वाध्याय आदि के संबंध में विस्तृत विवेचन है, जो वहाँ दृष्टव्य है। दैहिक अस्वाध्यायावस्था में स्वाध्याय-विषयक विधि-निषेध णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा अप्पणो असज्झाइए सज्झायं करेत्तए, कप्पइ ण्हं अण्णमण्णस्स वायणं दलइत्तए॥१९३॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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