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व्यवहार सूत्र
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षष्ठ उद्देशक
कराए बिना
प्रतिक्रमण पूर्वक आत्मस्थ कराए बिना, अणिंदावेत्ता - निंदा कराए बिना, अगरहावेत्ता - गर्हा कराए बिना, अविउट्टावेत्ता अतिचार से संबंध विच्छेद कराए बिना दूर कराए बिना, अविसोहावेत्ता - विशुद्धि कराए बिना, अकरणाए - न करने योग्य आचरण से, अणब्भुट्ठावेत्ता - अनभ्युत्थापित कराए बिना, अर्थात् उसे पुनः न करने का दृढ़ संकल्प कराए बिना, अहारिहं - यथार्ह यथायोग्य, पायच्छित्तं - प्रायश्चित्त, अपडिवज्जावेत्ता - स्वीकार कराए बिना, पुच्छित्तए - पृच्छा करना, वाएत्तए - वाचना देना, उवट्ठावेत्तए - चारित्र में उपस्थापित करना, संभुंजित्तए उनके साथ साधु जीवनोचित उपधि आदि आवश्यक वस्तुओं के परस्पर लेन-देन का व्यवहार करना, संवसित्तए - साथ में रहना, इत्तरियं - इत्वरिक - अल्प काल के लिए, उद्दिसित्तए - निर्देश करना ।
भावार्थ १७४ - १७५. किसी गण के साधुओं और साध्वियों को, किसी अन्य गण से आई हुई क्षताचार, शबलाचार, भिन्नाचार एवं संक्लिष्टाचार युक्त साध्वी से आचरित दोषपूर्ण स्थान की आलोचना, प्रतिक्रमण, निंदा, गर्हा कराए बिना, अतिचार - दोष से संबंध-विच्छेद कराए बिना, विशुद्धि कराए बिना, न करने योग्य - दोष पूर्ण आचरण को भविष्य में पुनः न करने का दृढ़ संकल्प कराए बिना, यथायोग्य प्रायश्चित्त कराए बिना उसके साथ साधर्मिकोचित पृच्छा करना, उसे वाचना देना, चारित्र में उपस्थापित करना अपने गण में सम्मिलित करना, स्वीकार करना, साधु जीवनोचित उपधि आदि वस्तुओं के लेन-देन आदि का आपस में व्यवहार करना, साथ में रहना, स्वल्प काल के लिए उसे दिशा, अनुदिशा का निर्देश करना, धारण करना नहीं कल्पता ।
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खण्डित यावत् संक्लिष्ट आचार वाले अन्य गण से आये हुए निर्ग्रन्थ को सेवित दोष की आलोचना यावत् दोषानुरूप प्रायश्चित्त स्वीकार न करा ले तब तक निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियों को उसे पुनः चारित्र में उपस्थापित करना उसके साथ साम्भोगिक व्यवहार करना और साथ में रखना नहीं कल्पता है तथा उसे अल्पकाल के लिए दिशा या अनुदिशा का निर्देश करना या धारण करना भी नहीं कल्पता है।
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[किसी गण के साधुओं तथा साध्वियों को, किसी अन्य गण से आई हुई क्षताचार, शबलाचार, भिन्नाचार एवं संक्लिष्टाचार युक्त साध्वी से आचरित दोष पूर्ण स्थान की आलोचना, प्रतिक्रमण, निंदा, गर्हा कराकर, अतिचार - दोष से संबंध विच्छेद कराकर, विशुद्धि कराकर, अकरणीय दोष पूर्ण आचरण को भविष्य में पुनः न करने का संकल्प कराकर, यथायोग्य
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