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________________ [28] क्रं० विषय १७. उपाध्याय, आचार्य एवं गणावच्छेदक पद-विषयक योग्यताएं १८. अल्पदीक्षा - पर्याय युक्त भिक्षु के संबंध में पद - विषयक विधान १९. साधु-साध्वी को आचार्य आदि के निर्देशन में रहने का परिवर्जन २०. अब्रह्मचर्य - सेवी को पद देने के संदर्भ में विधि-निषेध २१. संयम को छोड़कर जाने वाले के लिए पद-विषयक विधि - निषेध २२. पापसेवी बहुश्रुतों के लिए पद नियुक्ति का निषेध चउत्थो उद्देसओ - चतुर्थ उद्देशक २३. आचार्य आदि के सहवर्ती निर्ग्रन्थों की संख्या २४. समूह - प्रमुख भिक्षु का निधन होने पर सहवर्ती भिक्षुओं का कर्त्तव्य २५. रोग ग्रस्त आचार्य आदि द्वारा पद - निर्देश : करणीयता २६. संयम त्याग कर जाते हुए आचार्य आदि द्वारा पद-निर्देश : करणीयता २७. उपस्थापन विधि २८. अध्ययनार्थ अन्य गण में गए भिक्षु की भाषा २९. सम्मिलित विहरण-गमन - विषयक विधि - निषेध ३०. चारिका प्रविष्ट - निवृत्त भिक्षु विषयक निरूपण ३१. शैक्ष एवं रत्नाधिक का पारस्परिक व्यवहार ३२. दीक्षा - ज्येष्ठ का अग्रणी विषयक विधान पंचमो उद्देसओ - पंचम उद्देशक ३३. प्रवर्त्तिनी आदि के साथ विहरणशीला साध्वियों का संख्याक्रम ३४. संघाटकप्रमुखा का देहावसान होने पर साध्वी का विधान ३५. प्रवर्त्तिनी द्वारा निर्देशित पद : करणीयता ३६. आचारप्रकल्प के भूल जाने पर पद- मनोनयन - विषयक प्रतिपादन ३७. स्थविर हेतु आचारप्रकल्प की पुनरावृत्ति का विधान ३८. पारस्परिक आलोचना-विषयक विधि - निषेध ३९. पारस्परिक सेवा विषयक विधि - निषेध ४०. सांप डस जाने पर उपचार - विषयक विधान छट्टो उद्देसओ - षष्ठ उद्देशक ४१. स्वजनों के घर भिक्षा आदि हेतु जाने के संबंध में विधि - निषेध Jain Education International For Personal & Private Use Only *** पृष्ठ ४५ ४९. ५१ ५४ ५८. ६० ६४-८९ ६४ ६७ ६९ . ७१ ७२ ८१ ८२ ८४ ८६ ८७ ९० - १०३ ९० ९२ x ९४ ९७ ९९ १०० १०१ १०२ १०४ - ११७ १०४ www.jalnelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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