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महामोहनीय कर्म-बन्ध के स्थान
१०१. AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk णायगं - नायक, रहस्स - राष्ट्र का, यारं - स्वामी, णिगमस्स - निगमस्य - गाँव के, सेट्टि - सेठ को, बहुरवं - परोपकार के कारण यशस्वी, दीवं - द्वीप की ज्यों आश्रयभूत, ताणं - रक्षक, एयारिसं - ऐसे, उवट्ठियं - उत्थित - धर्माराधना हेतु उद्यत, पडिविरयं - सावध योगों से निरत - मुनि धर्म में दीक्षित, संजयं - जितेन्द्रिय, सुतवस्सियं - उत्तम तपस्वी अथवा श्रुत-चारित्र धर्म पालक, विउक्कम्म - व्युत्क्राम्य - विचलित कर, अणंतणाणीणं - अनन्त ज्ञानियों का, वरदसिणं - केवल दर्शन युक्त, अवण्णवं - अवर्णवान्अवर्णवादी, बाले - अज्ञानी, णेयाउयस्स - न्यायोपेत - तर्क युक्तियुक्त, मग्गस्स - सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र रूप मोक्षमार्ग को, दुढे - दुष्ट, अवयरई - अपकार करता है - हानि पहुँचाता है, तिप्पयंतो - निंदा करता हुआ, खिंसइ - निंदा करता है, पडितप्पइ - परितृप्तसंतुष्ट करता है, अप्पडिपूयए - सम्मान-सत्कार न करने वाला, थद्धे - स्तब्ध - ढीठ, पविकत्थइ - अपनी प्रशंसा करता है, सज्झायवायं - प्रवचन निपुणता, अतवस्सीए - तपस्याविहीन, तेणे - चोर (स्तेन), साहारणट्ठा - आत्मकल्याण हेतु गिलाणम्मि - ग्लान, पभू - प्रभु - वैयावृत्य में समर्थ, कुणइ - करता है, किच्चं - वैयावृत्य रूप कार्य, मझंपि - मेरे लिए प्रत्युपकार, सढे - निर्दयी, णियडीपण्णाणे - माया में निपुण, कलुसाउलचेयसे - कालुष्य से आकुल चित्त युक्त, अबोहीए - बोधि रहित, कहाहिगरणाइंकलहोत्पादक वार्ता, संपउंजे - संप्रयुक्त करता है, सव्वतित्थाण - सर्वतीर्थ - साधु-साध्वी· श्रावक-श्राविका रूप. चतुर्विध धर्मतीर्थ रूप, आहम्मिए - अधार्मिक, जोए - योग -
वशीकरणादि मंत्र-तंत्रात्मक प्रयोग, सहाहेडं - आत्मप्रशंसा हेतु, सहीहेडं - प्रियजनों को प्रसन्न करने हेतु, भोए - भोगों को, पारलोइए - पारलौकिक - देवलोक संबंधी, आसयइ - अभिलाषा करता है, इड्डी - ऋद्धि - देव वैभव, जुई - धुति - कान्ति, जसो - यश, वण्णो - वर्ण - सौंदर्य, अवण्णवं - अवर्णवाद - निंदा करता है, अपस्समाणो - न . देखता हुआ, पस्सामि - देखता हूँ, जक्खे - यक्ष, गुज्झगे - गुह्यक - देव जाति विशेष, . जिणपूयट्ठी - जिनेन्द्र देव की तरह अपनी पूजा का इच्छुक, एए - ये, वुत्ता - कहे गए हैं, चित्तवद्धणा - अशुभ भाव विवर्धक, विवज्जेज्जा - छोड़े, चरिज्जत्तगवेसए - आत्मगवेषणापूर्वक आचरण करे - संयम मार्ग का पालन करे, जं - जो, जाणे - जाने, इओ - इससे, किच्च - कृत्य - न करने योग्य को करने योग्य मानना, अकिच्चं - न करने योग्य (अकृत्य), जढं - अज्ञानी, वंता - वमन कर, सेविज्जा - सेवन करे, आयारवं -
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