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प्रतिक्रमण - तेतीस बोल का पाठ
से, वीसाए- बीस, असमाहि - असमाधि से एगवीसाए - इक्कीस, सबलेहिं शबल दोषों से, बावीसाए- बावीस, परीसहेहिं - परीषहों से, तेवीसाए- तेवीस, सूयगडज्झयणेहिंसूत्रकृतांग के अध्ययनों से, चउवीसाए- चौबीस, देवेहिं देवों से, पणवीसाए- पच्चीस, भावणाहिं - भावनाओं से, छव्वीसाए - छब्बीस, दसा दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र, कप्प बृहत्कल्प सूत्र, ववहाराणं व्यवहार सूत्र के, उद्देसणकालेहिं - उद्देशनकालों से, सत्तावीसाए - सत्ताईस, अणगार गुणेहिं - साधु के गुणों से, अट्ठावीसाए - अट्ठाईस, आयारप्पकप्पेहिं - आचार प्रकल्पों से, एगूणतीसाए उनतीस, पावसुयप्पसंगेहिं - पापश्रुतों के प्रसंगों से, एगतीसाए- इकतीस, सिद्धाइगुणेहिं सिद्ध गुणों से, बत्तीसाए - बत्तीस, जोगसंगहेहिं - योग संग्रहों से, तेत्तीसाए तेतीस आसायणाहिं - आशातनाओं से, सदेवमणुआऽसुरस्स लोगस्स मनुष्य, देव, असुर सहित लोक की, सत्ताणं सत्त्वों की, सुयदेवयाए - श्रुत देवता की, वायणायरियस्स - वाचनाचार्य की ।
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राग
भावार्थ - एक प्रकार के असंयम से निवृत्त होता हूँ । दो प्रकार के बंधनों से बंधन और द्वेष बंधन से लगे दोषों का प्रतिक्रमण करता हूँ । तीन प्रकार के दण्ड़ों (मनोदण्ड, वचनदण्ड, कायदण्ड, ) से, तीन प्रकार की गुप्तियों (मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति) से और तीन प्रकार के शल्यों (मायाशल्य, निदानशल्य और मिथ्यादर्शनशल्य) से लगे दोषों का प्रतिक्रमण करता हूँ । तीन प्रकार के गौरव (ऋद्धि गौरव, रस गौरव, साता गौरव) से और तीन प्रकार की विराधनाओं (ज्ञान विराधना, दर्शन विराधना और चारित्र विराधना ) से होने वाले दोषों का प्रतिक्रमण करता हूँ । प्रतिक्रमण करता हूँ - - चार प्रकार के कषायों (क्रोध, मान, माया, लोभ) से, चार प्रकार की संज्ञाओं (आहारसंज्ञा, भयसंज्ञा, मैथुनसंज्ञा, परिग्रह संज्ञा ) से, चार प्रकार की विकथाओं (स्त्रीकथा, भक्तकथा, देशकथा, राजकथा) से और चार प्रकार के ध्यानों (आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान शुक्लध्यान) से । कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितापनिकी और प्राणातिपातक्रिया इन पांचों क्रियाओं के द्वारा जो भी अतिचार लगा हो उसका प्रतिक्रमण करता हूँ । शब्द, रूप, गंध, रस, और स्पर्श - इन पांचों कामगुणों से जो अतिचार लगा हो उसका प्रतिक्रमण करता हूँ । सर्व प्राणातिपात विरमण, सर्व मृषावाद विरमण, सर्व अदत्तादान विरमण, सर्व मैथुन विरमण, सर्व परिग्रह विरमण-इन पांचों महाव्रतों का सम्यक्रूप से पालन न करने से जो भी अतिचार लगा हो उसका प्रतिक्रमण करता हूँ । ईर्यासमिति, भाषा समिति, एषणा समिति, आदान भाण्ड मात्र निक्षेपणा समिति, उच्चार प्रस्रवण
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