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सामायिक - ज्ञानातिचार सूत्र
सूत्र ( उद्देशक १९ ) और स्थानांग सूत्र ( स्थान ४ उद्देशक २) दोनों में ही उपरोक्त चार महाप्रतिपदाएं वर्णित । व्यवहार भाष्य, हरिभद्रीयावश्यक आदि में भी महाप्रतिपदाएं चार ही मानी हैं। इसलिए ३२ अस्वाध्याय काल मानना उचित है ।
२९-३२. प्रातःकाल, मध्याह्न ( दोपहर ) सायंकाल और अर्द्धरात्रि, इन चारों संधि काल में एक मुहूर्त्त अस्वाध्याय काल रहता है। क्योंकि इन चारों काल में व्यन्तर देव भ्रमण करते हैं । अतः किसी प्रकार का प्रमाद होने पर उनके द्वारा उपद्रव होना संभव है।
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प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ३६ मिनिट व सूर्योदय के बाद १२ मिनिट, सायंकाल सूर्यास्त के पूर्व १२ मिनिट व सूर्यास्त के बाद ३६ मिनिट, मध्याह्न ( दोपहर ) व अर्द्ध रात्रि के समय मध्य समय से २४ मिनिट पूर्व व २४ मिनिट पश्चात् इस प्रकार एक मुहूर्त्त का अस्वाध्याय काल होता है। प्रात:काल व सायंकाल उपरोक्त एक मुहूर्त्त के पूर्व या पश्चात् भी लाल दिशाएं रहती है। जब तक लाल दिशा रहे तब तक अस्वाध्याय काल माना जाता है।
उपरोक्त ३२ अस्वाध्यायों का प्राचीन वर्णन स्थानांग सूत्र ४ उ० २, १० वें स्थान की टीका में, प्रवचन सारोद्धार के २६८ वें द्वार में गाथा १४५० से १४७१ तक में, व्यवहार भाष्य के सातवें उद्देशक एवं हरिभद्रीयावश्यक के चौथे प्रतिक्रमण - अध्ययन की अस्वाध्याय निर्युक्ति में, निशीथ के १९ वें उद्देशक की भाष्य चूर्णि में मिलता है । अस्वाध्याय के कुछ शब्दों का अर्थ छह नाम (अनुयोगद्वार ) के अंतर्गत आदि पारिणामिक भाव की टीका में मिलता है।
इन ३२ प्रकार के अस्वाध्यायों में स्वाध्याय करने पर जिनाज्ञा का उल्लंघन होता है और कदाचित् देव द्वारा उपद्रव भी हो सकता है। क्योंकि भगवती सूत्र शतक ५ उद्देशक ४ में देवों की अर्धमागधी भाषा कही है और यही भाषा आगम की भी है। अतः मिथ्यात्वी एवं कौतुहली देवों के द्वारा उपद्रव करने की संभावना रहती है। धूमिका, महिका में स्वाध्याय आदि करने से अप्काय की विराधना भी होती है । औदारिक सम्बन्धी दस अस्वाध्याय में स्वाध्याय करने पर लोक व्यवहार से विरुद्ध आचरण भी प्रतीत होता है, सूत्रों का सम्मान भी नहीं रहता है तथा ज्ञानाचार की शुद्ध आराधना भी नहीं होती है अपितु अतिचारों का सेवन होता है।
मासिक धर्म आदि स्वकीय अस्वाध्याय में श्रावक-श्राविका का विवेक पूर्वक सामायिक, प्रतिक्रमण, संवर आदि की प्रवृत्ति एवं नित्य नियम तथा प्रभु स्मरण करने का आगमों में कहीं
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