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________________ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स विक्रमनी एकवीसमी सदीना पूर्वार्धमां श्री जैन संघना अनन्य उपकारी स्व. पू. गुरुदेव श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. नी जन्मशताब्दीना उपलक्षमां हारिभद्रयोगभारती आचार्य शिरोमणि तर्कसम्राट् श्रीहरिभद्रसूरि विरचित चार योगप्रकरणों का समूह - (१) योगविंशिका - टीका - उपा. श्री यशोविजयजी गणी (२) योगशतक - स्वोपज्ञटीका (३) योगदृष्टिसमुच्चय- स्वोपज्ञ टीका | ( ४ ) योगबिन्दु आ. श्री मुनिचन्द्रसूरि प्रणीत टीका सह : द्वितीय - तृतीयावृत्ति सम्पादक : श्री विजयप्रेम-भुवनभानु-धर्मजित्-जयशेखरसूरिशिष्यः आचार्य विजयअभयशेखरसूरिः : प्रथमावृत्ति : वि.सं. २०३६ : द्वितीयावृत्ति :: तृतीयावृत्ति : वि.सं. २०५५ वि.सं. २०६६ प्रकाशक : दिव्यदर्शन ट्रस्ट ३९, कलिकुंड सोसायटी, धोलका-३८७८१० मूल्य : रूपये १००-०० मुद्रक : भरत ग्राफिक्स न्यू मार्केट, पांजरापोळ, रिलीफ रोड, अहमदाबाद - १ फोन : ०७९-२२१३४१७६, ९९२५०२०१०६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004175
Book TitleHaribhadra Yogbharti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhayshekharsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2009
Total Pages346
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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