________________
माणससरसारिक्वं [(माणससर)-(सारिक्ख) 1/1 वि] | पुषि (पुहवि) 2/1 । भमंतो (भम) वकृ 1/11 न (अ) = नहीं।
1. 'गति' अर्थ के साथ द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। 72. सब्वायरेण [(सव्य) + (प्रायरेण)] [(सव्व) वि-(मायरेण) क्रिविम=
पादरपूर्वक] । रपवह (रक्ख) विधि 2/2 सक । तं (त) 2/1 सवि । पुरिसं (पुरिस) 2/1 । जत्य (प्र) = जहाँ । जयसिरी (जयसिरि) 1/11 वसइ (वस) व 3/1 अक । अत्यमिय' (प्रत्थम) भूक 7/1। चंदिवे [(चंद)-(बिंब) 7/1] । ताराहि (तारा) 3/2। न (अ) = नहीं । कोरए (कोरए) व कर्म 3/1 सक पनि । जोहा (जोहा) 1/1। 1. मूल शब्द (किसी भी कारक के लिए मूल शब्द काम में लाया जा
सकता है : वज्जालग्गं P459 गाथा 264)। 73. नइ (प्र) = यदि । चंदो (चंद) 1/11कि (कि) 1/1 सवि । बहुतारएहि
[(बहु)-(तारप) 3/2] । बहुएहि (बहुम) 3/2। च (म): और । तेल (त) 3/1 स । विणा (प्र) = बिना। नस्स (ज) 6/1 स । पयासो (पयास) 1/1 | लोए (लोप) 7/1। अवलेह (धवल) व 3/1 सक । महामहीवट्ट [(महा) वि-(महीवट्ट) 2/1] 1.
1. "बिना' के योग में तृतीया, द्वितीया या पंचमी विभक्ति होती है। 74. चंबस्स (चंद) 6/1 | खमो (ख) 1/11 न (अ) = नहीं। ह (म) =
किन्तु । तारयाण (तारय) 6/21 रिखी (रिद्धि) 1/1 । वि (म) = भी। तस्स (त) 6/1 स । ताणं (त) 6/2 स । गल्याण (गरुय) 6/2 वि । घडणपरणं [(चडण)-पडण) 1/1] | इयरा (इयर) 1/2 वि। उग (अ)= परन्तु । निच्चपग्यिा [(निच्च) = हमेशा-(पड) भृकृ
1/2] । य (अ)=ही। 75. न (अ)=नहीं। ह (म) =पाद पूर्ति । कस्स (क) 4/1 सवि । वि
(अ) = भी । ति (दा) व 3/2 सक। षणं (धण) 2/1 | अन्नं (अन्न) 54 ] . .
[. वज्जालग्ग में
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org