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________________ [( )-( )-( ) ..] 1/1-प्रथमा/एकवचन . इस प्रकार के कोष्टक के अन्दर '-' 1/2-प्रथमा/बहुवचन चिह्न समास का घोतक है। 2/1-द्वितीया/एकवचन 2/2-द्वितीया/बहुवचन • जहां कोष्टक के बाहर केवल संख्या 3/1-तृतीया/एकवचन .(जैसे) 1/1, 2/1""मादि) ही लिखी 3/2-तृतीया/बहुवचन है वहां उस कोष्टक के अन्दर का शब्द - 4/1-चतुर्थी/एकवचन 4/2-चतुर्थी/बहुवचन • जहां कर्मवाच्य, कृदन्त प्रादि प्राकृत 5/1-पंचमी/एकवचन के नियमानुसार नहीं बने हैं वहां 5/2-पंचमी/बहुवचन कोष्टक के बाहर 'अनि' भी लिखा 6/1-षष्ठी/एकवचन गया है। 6/2-षष्ठी/बहुवचन 1/1 अक या सक-उत्तम पुरुष/ . .7/1-सप्तमी/एकवचन एकवचन 7/2--सप्तमी/बहुवचन 1/2 अक या सक-उत्तम पुरुष/ 8/1-संबोधन/एकवचन बहुवचन . 8/2-संबोधन/बहुवचन 2/1 अक या सक-मध्यम पुरुष .. एकवचन 2/2 अक या सक-मध्यम पुरुष/ बहुवचन सक-अन्य पुरुष . . एकवचन 3/2 अक या. सक-अन्य पुरुष/ .. . बहुवचन जीवन-मूल्य ] [ 35 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004172
Book TitleVajjalagga me Jivan Mulya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages94
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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