________________
=
( अ ) अव्यय ( इसका अर्थ = लगाकर लिखा गया है)
- अकर्मक क्रिया
अक
अनि
आज्ञा
कर्म
- अनियमित
-प्राज्ञा
— कर्मवाच्य
संकेत-सूची
(क्रिवि) - क्रियाविशेषण अव्यय
( इसका अर्थ = लगाकर लिखा गया है)
तुवि - तुलनात्मक विशेषण -पुल्लिंग
पु०
प्रे.
- प्रेरणार्थक क्रिया
- भविष्य कृदन्त
भवि - भविष्यत्काल
भाव
- भाववाच्य
भू
- भूतकाल
34 ]
Jain Education International
वि
विषि
विधिक
संकु
सक
सवि
स्त्री
हेक
( )
- भूतकालिक कृदन्त - वर्तमानकाल :
- वर्तमान कृदन्त
- विशेषरण
- विधि
- विधि कृदन्त
- सर्वनाम
-
.
-सम्बन्ध कृदन्त
- सकर्मक क्रिया
- सर्वनाम विशेषरण
—स्त्रीलिंग
— हेत्वर्थ कृदन्त
-- इस प्रकार के कोष्टक में
मूल शब्द रक्खा गया है। [ ( ) + ( ) + ( ).... ] इस प्रकार के कोष्टक के अन्दर + चिन्ह किन्हीं शब्दों में संधि का द्योतक है । यहाँ अन्दर के कोष्टकों में गाथा के शब्द ही रख दिए गए हैं ।
[ वज्जालग्ग में
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org