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18. गुणों से गुणी गर्वित हों, सम्पत्ति से सम्पत्तिशाली गर्वित (हों),
(यह) संभव (है)। (किन्तु) (खल) केवल दोषों के कारण
गर्व (करते हैं) । खलों का मार्ग ही अनोखा है। 19. (खल) (अपने पास) होती हुई (वस्तु) को नहीं देते हैं, देते हुए
(दूसरों) को रोकते हैं, दी गई (वस्तु) को भी छीन लेते हैं। बिना किसी कारण वैर करने वाले खलों का मार्ग ही
अनोखा है। 20. जिन (विन्ध्य-पर्वत शृंखलाओं) के द्वारा अनार्य ऊँचे (प्रति
ष्ठित) किए गए हैं, जिनके प्रसाद से (उनका) प्रताप बाहर. फैलाया गया है, (आश्चर्य है) (वे अनार्य) ही विन्ध्य-पर्वत को
जलाते हैं । खलों का मार्ग ही अनोखा है। 21. (जिस प्रकार) शुष्क (घास) से मिश्रित ताजे वृक्ष भी दावानल ... के द्वारा जला दिए जाते हैं, (उसी प्रकार) दुर्जन का साथ
प्राप्त होने पर सज्जन भी सुख नहीं पाता है । 22. (मनुष्यों से) मिले हुए बहरे और अन्धे धन्य हैं, (वे) ही दो
(व्यक्ति) (वास्तव में) मनुष्य लोक में जीते हैं, (क्योंकि) (वे) दुष्ट के वचन को नहीं सुनते हैं (और) दुष्ट के वैभवों को नहीं
देखते हैं। 23. केवल एक ही सूर्य और दिन (की मित्रता) का निर्वाह प्रशंसित
किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक (किसी) के द्वारा आजन्म
विरह ही नहीं देखा गया। 24. सूर्य और दिन दोनों की (आपस में) की हुई अखंडित (मित्रता)
शोभती है। दिन के बिना सूर्य नहीं (होता है) (तथा.) दिन भी निश्चय ही सूर्य के अभाव में नहीं (होता है)।
जीवन-मूल्य ]
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