________________
समाज में उनकी अनुभूति बढ़े इसके लिए अपना जीवन समर्पित कर देता है । यह मनुष्य की चेतना का एक दूसरा आयाम है |
वज्जालग्ग में जयवल्लभ ने महाकवियों की विविध अनुभूतियों में मूल्यात्मक अनुभूतियों को भी संजोया है । हमने उन्हीं मूल्यात्मक अनुभूतियों संबंधी गाथाओं में से 100 गाथाओं का चयन कर ' वज्जालग्ग में जीवन-मूल्य' तैयार किया है । अब हम यहाँ ' वज्जालग्ग में जीवन-मूल्य' में चयनित सामाजिक मूल्यों पर चर्चा करेंगे ।
गुणों (मूल्यों) के ग्रहण में आस्था व्यक्त करते हुए वज्जालग्ग का कथन है कि व्यक्ति द्वारा गुणों ( मूल्यों) का ग्रहरण महान होता है, उसके लिए जन्म- संयोग महान् नहीं होता है ( 85 ) । यदि गुण नहीं हैं, तो उच्च कुल से क्या लाभ है (83) ? कुल से चारित्र उत्तम होता है ( 35 ) । जो व्यक्ति गुण-हीन हैं, वे ही कुल के कारण गर्व
प्राकृत - मुक्तक काव्य की परम्परा में वज्जलिग्ग प्राकृत भाषा का एक संग्रह ग्रन्थ है । 'वज्जालग्ग' से अभिप्राय है: विभिन्न विषयों से सम्बन्धित गाथावर्गों का समूह । 'वज्जा से अभिप्राय है 'गाथा - वर्ग' | 'लग्ग' से अभिप्राय है, (पटवर्धन के अनुसार ) ' समूह' । अतः पटवर्धन के अनुसार 'वज्जालग्ग' का अर्थ हुआ 'गाथा वर्गों का समूह' । इसके रचना काल के विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है । इतना अवश्य कहा जा सकता है कि इसकी रचना 750-1337 AD के बीच कभी हुई होगी ।
'वज्जालग्ग' के संग्रह कर्ता 'जयवल्लभ' हैं । इसमें धर्म, अर्थ तथा काम सम्बन्धी गाथाओं का संग्रह किया गया है। प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, अहमदाबाद द्वारा प्रकाशित वज्जालग्ग के संस्करण में 795 गाथाओं के अतिरिक्त 195 गाथाएं परिशिष्ट में दी गई हैं । हमने इन सभी गाथानों में से 100 गाथाओं का चयन 'बज्जालग्ग में जीवन-मूल्य' शीर्षक के अन्तर्गत
किया है ।
जीवन-मूल्य ]
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
[ iii
www.jainelibrary.org