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(जिअ ) वक्र 6 / 1 वि (प्र) = ही जे (ज) 1 / 2 सवि गबर (प्र) = केवल गुणा ( गुण) 1 / 2 वि (प्र) = ओर ते (त) 1 / 2 सवि
च्चे (प्र) = ही
* कभी कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है । (हेम प्राकृत व्याकरण: 3-134)
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84. ववहारे* ( ववहार) 7 / 1 च्चित्र ( अ ) - ही छायं (छाया) 2/1 हि (रि) विधि 2/2 सक लोअस्स ( लोन ) 6/1 किंव (श्र) क्या हिश्रएण (हि) 3 / 1 तेउग्गमो [ (ते) + (उग्गमो ) ] [ (ते) - ( उग्गम) 1 / 1 ] मणीण (मरिण ) 6 / 2 वि ( अ ) = भी जो (ज) 1 / 1 स बाहिं ( अ ) = बाहर की ओर से सो (त) 1 / 1 सण ( प्र ) = नहीं भंग मि (भंग) 7/1
* कभी कभी तृतीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है | ( हेम प्राकृत व्याकरण: 3-135 )
85.
सम गुण-दोसा [ ( सम) वि - ( गुण ) - ( दोस) 1 /2] दोसेक्क - दंसिणो [(दोस) + (एक्क) + (दंसिणो)] [ ( दोस) - (एक्क) वि - ( दंसि ) 1 / 2 वि] संति (प्रस) व 3 / 2 अक दोस-गुण-वामा [ ( दोस)- (गुण) - (वाम) 1/2 वि ] गुण-दोस- वेइणो [ ( गुण) - (दोस ) - ( वेइ) 1/2 वि ] णत्थि (प्र) - नहीं जे (ज) 1 / 2 सवि उ (प्र) = प्रोर गेव्हंति (गेह) व 3 / 2 सक गुणमेतं [ ( गुण) - ( मेत्त) 2 / 1]
86. सच्चविप्रा सग्रल-गुणं [ ( सच्चविप्र ) + (असल ) + (गुणं ) ] [ ( सच्चविप्र ) भूकृ - (प्रसनल) वि - ( गुण) 1 / 1] पि (प्र) = यद्यपि
लोकानुभूति
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