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जैन-विद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, डा० उदयचन्द जैन, जैन-विद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, श्री मानमल कुदाल, प्रागम. अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर तथा डा० हुकमचन्द जैन जैन-विद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के द्वारा जो सहयोग प्राप्त हुमा उसके लिए भी प्राभारी हूँ।
__ मेरी धर्म-पत्नी श्रीमती कमलादेवी सोगाणी ने इस पुस्तक की गाथाओं का मूल ग्रन्थ से सहर्ष मिलान किया है । इसके लिए उनका माभार प्रकट करता हूँ।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए राजस्थान प्राकृत-भारती संस्थान, जयपुर के सचिव श्री देवेन्द्रराजजी मेहता एवं संयुक्त सचिव महोपाध्याय श्री विनयसागरजी ने जो व्यवस्था की है, उसके लिए उनका हृदय से माभार प्रकट करता हूँ। सह-प्रोफेसर, दर्शन-विभाग
कमलचन्द सोगाणी मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
उदयपुर (राजस्थान) 26.2.83
(xvi)
जापतिराज को
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