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प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
संबोधन
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व
षष्ठी
पंचमी
सप्तमी
(54)
कहा ( आकारान्त स्त्रीलिंग)
बहुवचन
कहाउ, कहाओ (5/20) कहा (6/60, 5/2) · कहाउ, कहाओ (5/19) कहाहिं ( 6/60, 5 / 5 ) कहाण ( 6 / 60, 5/4)
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एकवचन
chel (9/18)
कहं (5/21, 6/60, 5/3)
कहाइ, कहाए (5/22, 5 / 23 ) कहाइ, कहाए (5/22, 5 / 23 )
कहादु, काहि
कहादो, (6/60,5/6, 6/61) कहाइ, कहाए (5/22, 5/ 23 ) कहासु ( 6/60, 5/10 ) हे कहाउ, हे कहाओ, हे कहा ( 9 / 18 )
कहाहिन्तो, कहासुन्तों (6/60, 5/7)
हे कहे (5/28)
एकवचन
मई ( 5 / 18 ) *
मइ (इकारान्त स्त्रीलिंग)
मई (5/21, 6/60, 5/3)
मइअ, मइआ, मइइ,
मइए (5/22)
मइअ, मइआ, मइइ,
मइए (5/22)
संबोधन
मइ (5/27)
* सुबोधिनी टीका के आधार पर ।
मइअ, मइआ, मइइ,
मइए (5/22)
मईदो, मईदु, मईहि
(6/60, 5/6, 5/11, 6/61)
बहुवचन मइउ, मइओ (5/20)
मई (6/60, 5/2, 5/11 ) मइउ, मइओ (5/19) मईहिं ( 6/60, 5/5, 5 / 18 )
मईण (6/60, 5/4, 5/11)
मईहिन्तो, मईसुन्तो
(6/60, 5/7, 5/12) मईसु ( 6 / 60, 5 / 10, 5 / 18 )
हे मइउ, हे मइओ, हे मई ( 9 / 18 )
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
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