________________
प्रथमा
EEEEEE
द्वितीया तृतीया चतुर्थी व षष्ठी पंचमी
सयंभू (ऊकारान्त पुल्लिंग) एकवचन
बहुवचन सयंभू (5/18) सयंभूणो (5/16) ...
सयंभूओ (5/16) सयंभू (6/60, 5/3) .. सयंभूणो (5/14) सयंभूणा (5/17) सयंभूहिं (6/60, 5/18, 5/5) सयंभूणो (5/15)
सयंभूण (6/60, 5/4) सयंभूस्स (6/60, 5/8) सयंभूदो, सयंभूदु, सयंभूहि सयंभूहिन्तो, सयंभूसुन्तो, (6/60, 5/6, 6/61) (6/60, 5/7) सयंभूम्मि (6/60, 5/9, सयंभूसु (6/60, 5/18, 5/10) 6/61) हे सयंभू (5/27) हे सयंभूणो, हे सयंभूओ (9/18)
सप्तमी
संबोधन
E EEEEEEEEE
कमल (अकारान्त नपुंसकलिंग) एकवचन
बहुवचन प्रथमा कमलं (5/30) कमलाइं (5/26), कमलाणि (12/11) द्वितीया कमलं ( 5/3) कमलाइं (5/26), कमलाणि (12/11) तृतीया कमलेण ( 5/4, 5/12)* कमलेहिं ( 5/5, 5/12) चतुर्थी व कमलस्स (5/8) कमलाण ( 5/4, 5/11) षष्ठी पंचमी कमला, कमलादो, कमलादु, कमलेहिन्तो, कमलेसुन्तो,
कमलाहि (5/6, 5/11) कमलाहिन्तो, कमलासुन्तो
कमल (5/13) (5/7, 5/12) सप्तमी कमले, कमलम्मि (5/9) कमलेसु ( 5/10, 5/12)
कमल (5/13) संबोधन हे कमल (5/27) हे कमलाइं (9/18) * नोट - कातन्त्ररूपमाला के सूत्र संख्या 240 के अनुसार तृतीया से सप्तमी तक के नपुंसकलिंग शब्दों की रूपावली पुल्लिंग शब्दों के समान चलती है, इसीलिए सूत्रकार ने तृतीया से सप्तमी तक के प्रत्ययों का उल्लेख नहीं किया।
(52)
वररुचिप्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org