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लौकिक उपदेशों को जनसाधारण तक पहुंचाने का जो प्रयत्न कर रहे हैं वह प्रशंसनीय है और आशा है कि प्राकृत भाषा के प्राचीन एवं महत्वपूर्ण प्रोपदेशिक ग्रन्थों की ऐसी चयनिकाएं उनके द्वारा प्रकाश में प्राती रहेंगी।
अहमदाबाद 3-8-85
ग. के. आर. चन
अध्यक्ष प्राकृत-पालि विभाग गुजरात विश्वविद्यालय
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