________________
17 जस्स गुरुम्मि न भत्ती, न य बहुमायो न गउरवं न भयं । ।
न वि लज्जा न. वि नेहो, गुरुकुलवासेण किं तस्स ? ॥
18 खगमित्तसुक्खा बहुकालदुक्खा, पगामदुक्खा परिणगामसुक्खा। . संसारमोक्खस्स विपक्खभूया, खारणी प्रगत्थाण उ कामभोगा ॥
19 सुवि मग्गिज्जतो, कत्थ वि केलीइ नत्थि जह सारो।
इंदिनविसएसु तहा, नत्थि सुहं सुठ्ठ वि गविढें ॥
20 जह कच्छुल्लो कच्छु कंडयमाणो दुहं मुणइ सुक्खं ।
मोहाउरा मणुस्सा, तह कामदुहं सुहं विति ॥
21 भोगामिसदोसविसन्ने, हियनिस्सेयसबुद्धिवोच्चत्थे ।
बाले य मन्दिए मूढे, बज्झई मच्छिया व खेलम्मि ॥
22 जाणिज्जइ चिन्तिज्जइ, जम्मजरामरणसंभवं दुक्खं । . न य विसएसु विरज्जई, अहो सुबद्धो कवडगंठी ॥
[ समणसुत्तं
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org