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विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर का प्रभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के हिन्दी अनुवाद एवं उसकी प्रस्तावना को पढ़कर उपयोगी सुझाव दिए । डॉ. हुकमचन्द जैन ( जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर) तथा डॉ. सुभाष कोठारी एवं श्री सुरेश सिसोदिया आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर) के सहयोग के लिए भी आभारी हूँ ।
मेरी धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी सोगारणी ने इस पुस्तक की गाथाओं का मूल ग्रन्थ से सहर्ष मिलान किया है । इसके लिए आभार प्रकट करता I
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिये राजस्थान प्राकृत-भारती संस्थान, जयपुर के सचिव, श्री देवेन्द्रराजजी मेहता तथा संयुक्तसचिव एवं निदेशक, महोपाध्याय श्री विनयसागरजी ने जो व्यवस्था की है, उसके लिए उनका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ ।
कमलचंद सोगाणी
प्रोफेसर दर्शन विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर (राजस्थान) 19-11-87
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