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(वि-ली-य) व 3/1 अक । बस्स (ज) 6/1 स । तस्स (त) 6/1 स । सुहासुहम्हणो [(सुह)+ (मसुह)+डहणो) [(सुह) वि-(असुह) वि(डहण) 1/1 वि] अप्पा(अप्प) 1/11 अगलो (प्रणल) 1/1 ।
पयासेड (पयास) व 3/1 प्रक। ....1. प्रकारान्त धातुओं के अतिरिक्त अन्य स्वरान्त धातुओं में विकल्प से
म (य) जोड़ने के पश्चात् प्रत्यय लगाए जाते हैं। 161 न (भ) = नहीं। कसायसमुत्येहि [(कसाय)-(समुत्थ) 3/2 वि] य
(अ) =पादपूर्ति । वहिज्जा (वह)व कर्म 3/1 सक । माणसेहिं (माणस) .3/2 वि। दुक्खेहि (दुक्ख) 3/21 ईसाविसायसोगाइएहि [(ईसा)+
(विसाय)+ (सोग)+(आइएहिं)] [(ईसा-(विसाय)-(सोग). (प्राइन) 3/2 ] । भागोवगयचित्तो [(माण)+ (उवगय)+)चित्तो)]
[(झाण)-(उवगय) भूक अनि-(चित्त) 1/1]। 162 बह (म) =जैसे । चिरसंचियर्यामधणमनलो [(चिर)+ (संचियं)+
(इंधणं)+ (अनलो)] । चिर (म) = दीर्घ काल तक संचिय (संचिय) - भूक 2/1 अनि । इंधणं (इंधण) 2/1 । अनलो (मनल) 1/1 । पवन
सहिमो [(पवण)-(सहिप्र) 1/1 वि]। दुयं (क्रिवित्र = तुरन्त । वहा (दह) व 3/1 सक । तह (अ)=वैसे ही। कम्मेषणममियं [(कम्म)+ (इंधणं) + (अमिय)] [(कम्म)-(इंधण) 2/1] अमियं (अमिय) 2/1 वि । खण (क्रिवित्र)=क्षण भर में। झारणानलो [(झाण)+
(अनलो)] [(झाण)-(प्रनल) 1/1)] । हह (डह) व 3/1 सक। 163 जरामरणवेगेणं [ (जरा) - (मरण) - (वेग) 3/1 ] । वुझमाणाण
(बुज्झमाणाण) वकृ कर्म 4/2 अनि । पाणिणं' (पाणि) 4/2। धम्मो (धम्म) 1/1 । वीवो (दीव) 1/1। पइट्ठा (पइट्ठा) 1/1। य (प्र) = पौर । गई (गइ) 1/1 | सरगमुत्तमं [(सरणं) + (उत्तम)] सरणं 1: विभक्ति जुड़ते समय दीर्घ स्वर बहुधा कविता में ह्रस्व हो जाते
हैं। (पिशल : प्रा. भा. व्या. पृ. 182) 148.]
समणसुत्तं
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