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(तिरिम) 3/2] । कीरमागे (कीरमाण) कम वकृ 7/1 । वि (प्र) = भी । उवसग्गे (उवसग्ग) 7/1। वि (अ) =पादपूरक । रउद्दे (रउद्द) 7/1 वि । तस्स (त) - 6/1 स । समा (खमा) 1/1 | हिम्मला. ..
(गिम्मल-रिणम्मला) 1/1 वि । होदि (हो) व 3/1 प्रक। 43 खम्मामि (खम्म) ब 1/1 सक । सन्धजीवाणं' [(सव्व)-(जीव)6/2] ।
सम्वे (सव्व) 1/2 सवि । जीवा (जीव) 1/2 । खमंतु (खम) विधि 3/2 सक । मे (मम्ह) 2/1 स । मित्ती (मित्ति) 1/1 । मे (अम्ह) 6/1. स । सम्वभूदेसु [(सव्व) - (भूद) 7/2] । वरं (वेर) 1/1 | मझ (प्रम्ह) 6/1 । (अ) = नहीं । केरण (क) 3/1 स । वि (अ) = भी । 1. कभी कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर षष्ठी का प्रयोग होता
है। (हेम प्राकृत व्याकरणः 3-134) . 2. प्रादरसूचक शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति होती है। यहाँ प्रादर
सूचक शब्द 'मित्ति' है। 44 जो (ज) 1/1 स । चितेइ (चित) व 3/1 सक। ण (अ)=नहीं।
बंक (वंक) 2/1 वि । कुणदि (कुरण) व. 3/1 सक। जंपदे (जंप) व 3/1 सक | ये (म)=ौर । गोववि (गोव) 4 3/1 सक। णियवोसं [(रिणय) वि-(दोस) 2/1] । अम्मव-धम्मो [(प्रज्जव)-(धम्म)
1/1] । हवे (हव) व 3/1 अक । तस्स (त) 6/1 स। .. 45 परसंतावयकारण-वयणं [(पर)-(संतावय)-कारण)-(वयणं) 2/1] | • मोत्त ग (मोस रण) संक अनि । सपरहिववयणं [(स) वि-(पर) वि(हिद) वि-(वयण) 2/1] । जो (ज) 1/1 सवि । वददि (वद) व 3/1 सक । भिक्षु' (भिक्खु) मूल शब्द 1/1 | तुरियो (तुरिय) 1/1 सवि । तस्स (त) 6/1 स ।। (म)=ही । धम्मो (धम्म) 1/1 । हवे (हव) व 3/1 अक । सच्चं (सच्च) 1/11 . ___ 1. किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा
सकता है। (पिशल, प्रा. भा. व्या. पृष्ठ 517)
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