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________________ (चउसरण) वि-(लोय)-(परियर) भूक 2/2] । गर-सुर-खेयर-महिए [(पर) - (सुर) - (खेयर) - (मह) भूक 2/2] | आराहणणायगे [(भाराहण)-(णायग') 2/2] । वोरे (वीर) 2/2 वि 1. झा-झाय (अकारान्त धातुओं के अतिरिक्त अन्य स्वरान्त धातुनों में विकल्प से अ (य) जोड़ा जाता है । 2 यहाँ ‘णायग' विशेषण की तरह प्रयुक्त है, कोशों में इसे संज्ञा बताया गया है । *परिक-परिकर-परियर परियरिप्र-परियरिए (भूक 2/2) परिक (परिकर= परियर) = विभूषित करना। 7 घणघाइकम्ममहणा [(घण) वि – (घाइकम्म) - (महण) 1/2 वि] । तिहुवणवरभव्वकमलमत्तंग [(तिहुवरण) - (वर')-(भव्व)-(कमल)(मत्तड) 1/2 । अरिहा (अरिह) 1/2 । अयंतणाणी (अणंतरणाणि) 1/2 वि । अणुवमसोक्खा-[ [(अणुवम) वि-(सोक्ख) 1/2 वि] । जयंतु (जय) विधि 3/2 अक। जए (जअ) 7/1। . 1 वरम् (म)→वर = यह उस वाक्य-खंड के साथ प्रयुक्त होता है जिसमें अपेक्षित वस्तु विद्यमान है (संस्कृत-- हिन्दी कोश) 8 अविहकम्मवियला [[(अट्ठविह) वि-(कम्म)-वियल) 1/2] वि]। गिठ्ठियकज्जा [(गिट्ठिय) भूकृ अनि-(कज्ज) 1/2] । पणठ्ठसंसारा [[(पणट्ठ) भूकृअनि - (संसार) 1/2]] । विट्ठसयलत्थसारा[(दिट्ठ) +(सयल) + (प्रत्थ)+ (सारा)] [(दिटठ) भूकृ पनि - (सयल) वि -(प्रत्य)-(सार) 1/2] । सिखा (सिद्ध)1/2 । सिद्धि (सिटि) 2/1। मम (अम्ह) 4/1 स । विसंतु (दिस) विधि 3/2 सक । 9 पंचमहव्वयतुंगा [(पंच) वि-(महन्वय)-(तुंग) 1/2 वि] । तत्कालिय चयनिका ] [ 105 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004166
Book TitleSamansuttam Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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