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________________ संकेत-सूची (अ) –अव्यय (इसका अर्थ= . विधिकृ. -विधि कृदन्त ___ लगाकर लिखा गया है) स --सर्वनाम .. अक' -अकर्मक क्रिया संकृ -सम्बन्ध कृदन्त अनि -अनियमित सक -सकर्मक क्रिया . प्राज्ञा -प्राज्ञा सवि -सर्वनाम विशेषण कर्म -कर्मवाच्य - स्त्री --स्त्रीलिंग (क्रिविअ) --क्रिया विशेषण हेछ -हेत्वर्थ कृदन्त . अव्यय (इसका अर्थ ( ) -इस प्रकार के कोष्ठक में मूल रक्खा गया है । = लगाकर लिखा गया है । ( )+ ).... ] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर + चिह्न किन्हीं शब्दों में संधि का द्योतक है । यहां अन्दर के कोष्ठकों में गाथा के शब्द ही रख दिये गये तुवि —तुलनात्मक विशेषण पु -पुल्लिग -प्रेरणार्थक क्रिया -भविष्य कृदन्त -भविष्यत्काल -भाववाच्य -भूतकाल --भूतकालिक कृदन्त व --वर्तमानकाल व --वर्तमान कृदन्त वि -विशेषण विधि --विधि [( )-( )-( ).... ] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर '-' चिह्न समास का द्योतक है। {[( )-( )-( )] वि } जहां समस्त पद विशेषण का कार्य करता है, वहां इस प्रकार के कोष्ठक का प्रयोग किया गया है। 102 ] . . [ मरणसुत्तं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004166
Book TitleSamansuttam Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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