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वांछा पूर्ण हुई । सं० १२०१ में प्रतिबोध दे कर आबेड़ा गोत्र व बुधसिंह के पुत्र खाटड़ से खटोल या खटेड गोत्र निकला।
गडवाणी, भडगतिया अजमेर के निकट भाखरी गाँव में गडवा नामक राठोड़ को गुरुदेव ने जैन बनाया, उसकी धनवान होने की इच्छा पूर्ण हुई । गडवाणी और भडगतिया गोत्र प्रसिद्ध हुए।
रूणवाल सपादलक्ष देश के रूण ग्राम में सोढा क्षत्रियों के घरों में प्रधान ठाकुर वेगा के सन्तान सुख नहीं था । श्री जिनदत्तसूरिजी के पधारने पर उनसे प्रतिबोध पाकर जैन हो गया । गुरुदेव ने उसे उपसर्गहर स्तोत्र कल्प साधनार्थ दिया जिससे उसके चार भाग्यशाली पुत्र हुए। सं० १२१० में वेगा के वंशज रूण गाँव के नाम से 'रुणवाल' कहलाये।
बोहिथरा ___ जालोर के राजा सामंतसिंह देवडा-चौहान के दो रानियां थी। राजा के सगर, वीरम और कान्हड नामक तीन पुत्र और उमा नामक पुत्री थी । सामंतसिंह के पद पर वीरमदेव बैठा । सगर की माता देवलवाडा के राजा भीमसिंह की पुत्री थी। अन्य रानी द्वारा अपमान होने से वह पुत्र को लेकर अपने पीहर चली गई। भीमसिंह के पुत्र न होने से उसने दौहित्र सगर को राज्यगद्दी दी जिससे वह एक सौ चौबालीस गांवों का अधिपति हो गया । सगर बडा वीर था उसने मालव और गुजरात के शाह को जीत कर बाईस लाख दीनार दण्ड स्वरुप प्राप्त
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