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प्राक्कथन
प्रोफेसर कमलचन्द सोगाणी द्वारा सम्पादित गीता - चयनिका को पढ़कर अपार हर्ष का अनुभव हुआ । इसमें विद्वान् लेखक ने गीता से लगभग पौने दो सौ श्लोक चुनकर उनका हिन्दी में अनुवाद किया है तथा एक विद्वत्तापूर्ण भूमिका के द्वारा गीता-दर्शन के विभिन्न आयामों का एक सर्वथा मौलिक ढंग से समन्वय करते हुए उसकी अतीव सारगर्भित विवेचना प्रस्तुत की है।
डॉ. सोगाणी कुछ वर्षों से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य में संलग्न हैं। उन्होंने हमारे प्राचीन साहित्य के आर्ष ग्रंथों की चयनिकाएं जन सामान्य को सुलभ कराने का बीड़ा उठाया है । वे इस कार्य को एक सच्चे कर्म के समान कर रहे हैं। अपनी इस योजना को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में वे अब तक अनेक चयनिकाएं प्रकाशित कर चुके हैं। अब तक की सभी चयनिकाएँ जैन ग्रंथों तथा प्राकृत साहित्य की कृतियों से सम्बन्धित थीं । किन्तु इस बार वे प्राकृत के दायरे से बाहर निकल कर संस्कृति के क्षेत्र में आये हैं और आश्चर्य की बात कि इस क्षेत्र में भी उन्होंने अपना पूर्ण आधिपत्य प्रकट किया है।
पूर्व चयनिकाओं के समान प्रस्तुत गीता - चयनिका भी एक महत्त्वपूर्ण कृति है । यह गीता के श्लोकों का चयनमात्र नहीं है। इसमें अनेक ऐसी विशेषताएँ हैं जो गीता के अन्यान्य संस्करणों से इसे विशिष्टता प्रदान करती हैं। श्लोकों के चयन में विद्वान् लेखक की
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