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________________ प्रकाशकीय प्राकृत भारती अकादमी के 45वें पुष्प के रूप में गीता चयनिका का तृतीय संस्करण पाठकों के कर-कमलों में समर्पित करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है। विश्व-संस्कृति के मूल्यात्मक निर्माण में भगवद्गीता, सुमणसुत्तं, धम्मपद्, बाईबिल, कुरान आदि ग्रंथों का विशेष महत्त्व है। ये सभी ग्रंथ मनुष्य को उचित दिशा प्रदान करने में सक्षम हैं। इनके चिन्तन-मनन से मनुष्य मूल्यात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरणा प्राप्त करता है। पाशविक वृत्तियाँ उसे त्यागने योग्य मालूम होने लगती हैं। वह अपने आन्तरिक जीवन की विषमताओं को समझकर समता-प्राप्ति की ओर अग्रसर होने के लिए उत्साहित होता हैं। आज के औद्योगिक जीवन की व्यस्तताओं में व्यक्ति इन ग्रंथों के हार्द को समझ सके तो अत्यन्त उपयोगी है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर डॉ. सोगाणी ने भगवद्गीता की चयनिका तैयार की है। इस गीता-चयनिका में 170 श्लोक हिन्दी अनुवाद-सहित प्रस्तुत हैं। इनका व्याकरणिक विश्लेषण भी दिया गया है, जो उनकी विशिष्ठ शैली का परिचायक है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004162
Book TitleGeeta Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages178
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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