SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राभार: गीता-चयनिका के लिए एस. के. बेलवलकर द्वारा संपादित भगवद्गीता [भीष्मपर्व के अन्तर्गत, महाभारत का छटा खण्ड] का उपयोग किया गया है। इसके लिए श्री बेलवलकर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। भीष्मपर्व का यह संस्करण भण्डारकर प्राच्य शोध संस्थान, पूना से सन् 1947 में प्रकाशित हुआ है। डॉ. मूलचन्द्र पाठक, प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ने गीता-चयनिका का प्राक्कथन लिखने को स्वीकृति प्रदान को, इसके लिए मैं उनका हृदय से कृतज्ञ हूँ। उन्होंने इसके हिन्दी अनुवाद और व्याकरणिक विश्लेषण को देखकर महत्वपूर्ण सुधार सुझाए तथा इसको प्रस्तावना को पढ़ने व सुनने का समय दिया । अतः मैं उनका प्राभारी हूँ। ___डॉ. रामचन्द्र द्विवेदो, प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर तथा डॉ. दयानन्द भार्गव, प्रोफेसर संस्कृतविभाग, जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर ने गोता-चयनिका पर जो सम्मति लिखी है, उसके लिए मैं उनका कृतज्ञ हूँ। . . . डॉ. पी. के. माथुर, सह-प्रोफैसर, दर्शन विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर डॉ. श्यामराव व्यास, सहायक प्रोफेसर, दर्शन-विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, श्री एस. एन. जोशी, सह-प्रोफेसर, अंग्रेजी-विभाग, सु. वि. उदयपुर, डॉ. सी. वी. भट्ट, सह-प्रोफेसर रसायन-शास्त्र, विभाग, सु. वि. उदयपुर, xvi ] गीता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004162
Book TitleGeeta Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages178
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy