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(वृत-वर्तमान) वकृ 1/1. अपि (प्र)= भा. स योगी [(सः)+ (योगी)] सः (तत्) 1|| सवि. योगी (योगिन्)1/1. मयि (अस्मद)
7/1. स वर्तते (वृत) व 3/1 प्रक. 89. प्रात्मौपम्येन (प्रात्मौपम्य) 3/1 या [(प्रात्म) + (प्रौपम्येन)]
[(प्रात्मन--प्रात्म)- (प्रौपम्य) 3/1]. सर्वत्र (अ)=प्रत्येक स्थान पर (सब प्राणियों में) समं पश्यति [(समम्)+पश्यति)] समम् (सम) 2/1. पश्यति (दृश्) व 3/1 सक. योऽर्जुन [(यः) + (अर्जुन)] यः (यत्) 1/1 सवि. अर्जुन (अर्जुन) 8/1 सुखं वा [(सुखम्) + (वा)] सुखम् (सुख) 2/1. वा (प्र)=ौर. यदि वा (4)= या दुःखं स योगी [(दुःखम) + (सः)+ (योगी)] दुःखम् (दुःख) 2/1. सः (तत्) 1/1 सवि. योगी (योगिन्) 1/1. परमो मतः [(परमः) + (मतः)]
परमः (परम) 1/1 वि. मतः (मन्+मत) भूक 1/1. 90. असंशयं महाबाहो [(असंशयम्) + (महाबाहो)] असंशयमम् (भ) =
निश्चय ही. महाबाहो (महाबाहु) 8/1. मनो दुनिग्रहं चलम् [(मनः)
+ (दुर्निग्रहम्) + (चलम्) ] मनः (मनस्) 1/1 दुनिग्रहम् (दुर्निग्रह) 1/1 वि. चलम् (चल) 1/1 वि. अभ्यासेन (प्रभ्यास) 3/1. तु (अ) =किन्तु. कौन्तेय (कौन्तेय)- 8/1 वैराग्येण (वैराग्य) 3/1 च
(अ)=ोर गृह्यते (ग्रह) व कर्म 3/1 सक. 91. असंयतात्मना [(असंयत)+ (आत्मना)] [(असंयत) वि--(प्रात्मन्)
3/1] योगो दुष्प्राप इति [(योगः) + (दुष्प्राप) + (इति)] योगः (योग) 1/1 दुष्प्रापः (दुष्प्राप) 1/1 वि. इति (अ)= इस प्रकार. मे (अस्मद) 6/1 स. मतिः (मति) 1/1 वश्यात्मना [(वश्य)+ (प्रात्मना।] [(वश्य) वि-(प्रात्मन्) 3/1] तु (अ)=किन्तु. यतता (यत्-यतत्) व 3/1 शक्योऽवाप्तुमुपायतः [(शक्यः) + (अवाप्तुम्)
चयनिका
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